भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य के 7 प्रमुख शहरों – भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना और सागर को इस मिशन में चरणबद्ध तरीके से शामिल किया गया है। यह मिशन शहरी विकास, नागरिक जीवनशैली में सुधार और आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से कार्य कर रहा है। इस लेख में हम मध्यप्रदेश के स्मार्ट सिटी मिशन के विभिन्न पहलुओं, विकास कार्यों, और युवाओं के लिए अवसरों की विस्तार से जानकारी देंगे।
स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत और उद्देश्य
भारत सरकार ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य भारतीय शहरों को तकनीकी रूप से उन्नत, पर्यावरण अनुकूल और नागरिकों के लिए अधिक सुविधाजनक बनाना है। इस योजना के तहत प्रत्येक चयनित शहर को केंद्र और राज्य सरकार से 1000 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी जाती है, जिसमें 500 करोड़ केंद्र सरकार और 500 करोड़ राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
मध्यप्रदेश के स्मार्ट सिटी शहर – चरणबद्ध चयन
मध्यप्रदेश से कुल 7 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किया गया है। इनका चयन तीन चरणों में हुआ:
- प्रथम चरण (2016): भोपाल, इंदौर और जबलपुर
- दूसरा चरण (2017): ग्वालियर और उज्जैन
- तीसरा चरण (2018): सतना और सागर
इन सभी शहरों में व्यापक स्तर पर बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाया गया है, जिससे नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं।
स्मार्ट सिटी में क्रियान्वित प्रमुख योजनाएं
स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश के इन शहरों में विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया है, जिनका उद्देश्य शहरी जीवन को स्मार्ट और सुविधाजनक बनाना है:
- स्मार्ट रोड – पैदल यात्रियों और वाहनों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक सड़कों का निर्माण।
- स्मार्ट स्ट्रीट लाइटिंग – ऊर्जा की बचत के लिए LED और सेंसर आधारित लाइटिंग सिस्टम।
- एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) – शहर की ट्रैफिक, सुरक्षा, स्वच्छता, और आपदा प्रबंधन की निगरानी एक ही प्लेटफॉर्म से।
- मल्टी लेवल पार्किंग – पार्किंग की समस्या के समाधान हेतु बहु-स्तरीय पार्किंग सुविधाएं।
- इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) – ट्रैफिक की निगरानी और नियंत्रण के लिए सेंसर और कैमरा आधारित तकनीक।
- रेन वॉटर हार्वेस्टिंग – वर्षा जल का संचयन और पुनः उपयोग के लिए व्यवस्था।
- नॉन मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट – साइकिल और पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित रास्ते।
- पुरातत्व धरोहर संरक्षण – ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और पुनर्स्थापन कार्य।
- रिवर फ्रंट और लेक डेवलपमेंट – जल निकायों के सौंदर्यीकरण और पर्यटन को बढ़ावा।
- स्मार्ट क्लासरूम और स्टेडियम – शिक्षा और खेलों के लिए आधुनिक सुविधाएं।
क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग की व्यवस्था
स्मार्ट सिटी मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया है। इसमें विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। अब तक प्रदेश के 7 स्मार्ट सिटी शहरों में कुल 662 योजनाएं मंजूर की गई हैं, जिनकी अनुमानित लागत 6563 करोड़ रुपये है। इनमें से 639 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, जबकि शेष योजनाएं प्रगति पर हैं।
युवाओं के लिए स्टार्टअप और इंटर्नशिप अवसर
स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत युवाओं की उद्यमिता और रोजगार को भी प्राथमिकता दी गई है। इसके तहत सभी 7 शहरों में स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना की गई है, जहां नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब तक:
- 1027 स्टार्टअप्स को सुविधाएं दी गई हैं।
- इनमें से 381 से अधिक स्टार्टअप्स ग्रेजुएट हो चुके हैं।
- ये स्टार्टअप्स टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, एजुकेशन, ई-कॉमर्स और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
इसके अतिरिक्त, अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम (TULIP) के माध्यम से छात्रों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में इंटर्नशिप का अवसर प्रदान किया जा रहा है। अब तक:
- 6539 इंटर्नशिप पोस्ट की गई हैं।
- 733 इंटर्नशिप्स ऑनगोइंग हैं।
- 1318 इंटर्नशिप्स पूर्ण की जा चुकी हैं।
मध्यप्रदेश में स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत चुने गए 7 शहरों ने न केवल शहरी ढांचे को आधुनिक रूप दिया है, बल्कि नागरिकों की जीवनशैली, युवा उद्यमिता, डिजिटल गवर्नेंस, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इस मिशन ने शहरों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
यदि मध्यप्रदेश के अन्य शहर भी इसी प्रकार योजनाबद्ध विकास करें, तो राज्य जल्द ही भारत के अग्रणी स्मार्ट स्टेट्स की सूची में शुमार हो सकता है।