When American B-1 bombers reached Norway Russia launched a missile then Europe at the mouth of the war

अमेरिकी बी-1 बॉम्बर्स नॉर्वे पहुंचे तो रूस ने तानी मिसाइल, फिर जंग के मुहाने पर यूरोप

वॉशिंगटन। जो बाइडेन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही रूस के साथ तनाव अचानक चरम पर पहुंच गया है। इन दो महाशक्तिशाली देशों के बीच सुलग रही आग में पूरे यूरोप के जलने का खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका और रूस पहले से ही बाल्टिक सागर में बादशाहत को लेकर मरने मारने पर उतारू हैं। अब इस युद्ध के मैदान का विस्तार बैरंट सी तक हो गया है। अमेरिका ने जैसे ही अपने परमाणु बॉम्बर्स को नॉर्वे में तैनात किया, वैसे ही रूस ने भी अपनी मिसाइलों का मुंह उधर ही मोड़ दिया है। रूस को चेतावनी देने की कोशिश कर रहा यूएस माना जा रहा है कि अमेरिका नए राष्ट्रपति के कार्यकाल की शुरुआत में ही रूस को चैलेंज करने की कोशिश में है। वहीं, रूस किसी भी कीमत पर दबने नहीं जा रहा। इन दिनों राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी एलेक्सी नवलनी की गिरतारी के बाद से रूस और यूरोपीय देशों के बीच भी तनाव जारी है। यूरोपीय यूनियन जहां नए प्रतिबंधों को लगाने पर विचार कर रहा है, वहीं रूस ने भी चेतावनी दी है कि अगर ऐसा होता है तो वह अपने संबंधों को पूरी तरह से तोड़ लेगा।

रूस ने जारी की मिसाइल टेस्ट की चेतावनी

रूस के रक्षा मंत्रालय ने इस क्षेत्र में अमेरिका के 4 बी-1 स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स विमानों के आते ही मिसाइल टेस्ट के लिए नोटैम जारी कर दिया है। दरअसल यह एक चेतावनी होती है कि इस क्षेत्र में किसी घातक लाइंग आब्जेक्ट का टेस्ट किया जाएगा। जिससे उस क्षेत्र में उड़ान पर या तो प्रतिबंध लगा दिया जाता है। या फिर अगर कोई मिलिट्री एयरक्राट उड़ता है तो उसे सचेत किया जाता है। यह चेतावनी 18 से 24 फरवरी की अवधि के लिए निर्धारित है। इस चेतावनी में नॉर्वे के मुख्य भूमि से लेकर स्वेलबर्ड द्वीप तक का इलाका शामिल है। इस इलाके को बियर गैप के नाम से जाना जाता है। इस मिसाइल के प्रभाव क्षेत्र में बैरंट सी का पूरा इलाका भी शामिल है।

नॉर्वे पहुंची अमेरिकी बी-2 बॉम्बर्स की सपोर्टिंग टीम

अमेरिका लगातार यूरोप में अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत करने में जुटा है। इसलिए नॉर्वे में अमेरिकी सेना के 200 जवानों का एक दल पहले ही पहुंच चुका है। इसमें बी-2 स्ट्रैटजिक विमानों की मेंटेनेंस टीम, वेपन हैंडलिंग टीम के साथ अमेरिकी कमांडो भी शामिल हैं। एक महीने पहले ही जो बाइडेन ने ट्रंप के उस आदेश को पलट दिया था, जिसमें जर्मनी में तैनात अमेरिकी सेना को वापस बुलाने को कहा गया था। नॉर्वे और जर्मनी के अलावा ग्रीनलैंड में भी अमेरिकी सेना मौजूद है। ऐसे में रूस को डर सता रहा है कि कहीं, अमेरिका इस चाल के जरिए यूरोप में उसके प्रभाव को कम करने और घेराबंदी करने की प्लानिंग तो नहीं कर रहा।

मिसाइल टेस्ट के जरिए यूएस को जवाब

नॉर्वेजियन डिफेंस रिसर्च इस्टेब्लिशमेंट (एफएफआई) के सीनियर रिसर्च फेलो क्रिस्टियन आटलैंड ने कहा, रूसी मिसाइल परीक्षण के समय और यूएस बी 1 बमवर्षकों के अनुमानित आगमन आपस में जुड़ा हुआ है। यह सीधे तौर पर अमेरिका को चेतावनी है कि अगर उसने कुछ करने की कोशिश की तो इसके परिणाम गंभीर होंगे। उन्होंने कहा, रूस का मिसाइल टेस्ट नॉर्वे की धरती पर अमेरिकी बॉम्बर्स की मौजूदगी का विरोध जताने का तरीका हो सकता है। रूसी परीक्षण क्षेत्र 22वें और 25 डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। नॉर्वे के स्वयं के प्रतिबंध के कारण मित्र देशों के विमान आमतौर पर इस लाइन के पूर्व में प्रशिक्षण गतिविधियों का संचालन नहीं करते हैं।

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