नई दिल्ली। वॉट्सएप ने भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक केस दायर किया है, जिसमें आज से लागू होने वाले नए आईटी नियमों को रोकने की मांग की गई है। वॉट्सएप बनाम भारत सरकार का केस मंगलवार, 25 मई को फाइल किया गया। मैंसेंजर एप ने कहा कि नए नियमों से यूजर्स की प्राइवेसी प्रभावित होगी। नए नियमों के तहत सरकार ने फेसबुक के मालिकाना हक वाली कंपनी को प्राइवेसी रूल्स से पीछे हटने को कहा है। इस मुकदमे में दिल्ली हाईकोर्ट से यह घोषित करने के लिए कहा गया है कि नए नियमों में से एक भारत के संविधान के तहत दिए गए गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस नियम के मुताबिक, जब सरकारें मांग करें तो सोशल मीडिया कंपनियों को किसी सूचना को सबसे पहले साझा करने वाले की पहचान करनी पड़ती है।
केंद्र सरकार ने 25 फरवरी 2021 को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की तरफ से डिजिटल कंटेंट को रेग्यूलेट करने के लिए 3 महीने के भीतर कंप्लायंस अधिकारी, नोडल अधिकारी आदि को नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। इन सभी का कार्यक्षेत्र भारत में होना जरूरी है। सरकार द्वारा दिए गए आदेश के तहत कंपनियों को कंप्लायंस अधिकारी को नियुक्त करना होगा और उनका नाम और कॉन्टैक्ट एड्रेस भारत का होना अनिवार्य है।
कानून के मुताबिक वॉट्सएप को सिर्फ उन लोगों की पहचान बतानी है, जिनपर गलत जानकारी साझा करने का विश्वसनीय आरोप है लेकिन वॉट्सएप का कहना है कि वह यह नहीं कर सकती। वॉट्सएप के मुताबिक, उसके मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड यानी कूट भाषा में होते हैं। उसका कहना है कि नए नियम का पालन करने के लिए उसे मेसेज प्राप्त करने वालों के लिए और मैसेज को सबसे पहले शेयर करने वालों के लिए इस एन्क्रिप्शन को ब्रेक करना पड़ेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक यह नहीं पता कि कोर्ट इस याचिका पर कब सुनवाई करेगी। मामले के जानकारों ने इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए अपनी पहचान जाहिर करने से भी इनकार कर दिया है। वॉट्सएप प्रवक्ता ने भी इस मसले पर बयान देने से मना कर दिया है। हालांकि, यह केस भारत सरकार के फेसबुक, ट्विटर सहित अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के साथ जारी टकराव को और बढ़ा सकता है। बीते हफ्ते ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़े टूलकिट विवाद को लेकर दिल्ली पुलिस ट्विटर के दफ्तर पहुंच गई थी। वॉट्सएप ने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा की ओर से किए एक ट्वीट को ‘मैन्युप्युलेटिव मीडिया’ का टैग दिया था।
एंड-टू-एंड’ एन्क्रिप्शन ब्रेक होगा
वॉट्सएप ने अपने FAQ पेज पर भी इस बारे में जानकारी दी है। हालांकि, वहां किसी देश विशेष को लेकर नहीं लिखा गया है लेकिन वॉट्सएप ने इसी मामले को लेकर भारत सरकार पर केस दर्ज किया है। वॉट्सएप ने कहा है कि कुछ सरकारें उसे ‘ट्रेसेबिलिटी’ करने को कह रही हैं। वॉट्सएप के मुताबिक, ट्रेसेबिलिटी का अर्थ है यह पता लगाना कि कोई संदेश असल में सबसे पहले किसने भेजा। वॉट्सएप का कहना है कि ट्रेसेबिलिटी से ‘एंड-टू-एंड’ एन्क्रिप्शन ब्रेक होता है और इससे अरबों लोगों की प्राइवेसी खतरे में पड़ती है। वॉट्सएप ने साल 2016 में ‘एंड-टू-एंड’ एन्क्रिप्शन की शुरुआत की थी, ताकि उसके जरिए किए जाने वाले कॉल, मेसेज, फोटो, वीडियो और वॉइस नोट सिर्फ उसी को मिलें जिन्हें वे भेजे गए हैं। वॉट्सएप का दावा है कि ये संदेश वह भी नहीं पढ़ या देख सकता है।