नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को एक न्यायप्रिय ग्रह माना गया. शनि देव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर जीवन में फल प्रदान करते हैं. यानी जब व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तो शनि देव उसे अच्छे और शुभ फल प्रदान करते हैं लेकिन जब व्यक्ति बुरे कार्य करता है, दूसरों को सताता है तो वह कर्म दोष का भागी बन जाता है और फिर शनि देव उसे कष्ट देना शुरू कर देते हैं. लेकिन शनि देव से अपने कर्मो की क्षमा याचना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम है. शनिवार के दिन विधि-विधान के साथ शनि देव की पूजा करें और शनि मंत्रों का जाप करें तो शनि देव अवश्य प्रसन्न होते हैं.
शनि देव का बीज मंत्र
शनिवार, शनिदेव का दिन है और इस दिन स्नान के बाद काले वस्त्र धारण करें. शनि मंदिर में जाकर शनि देव की मूर्ति के सामने आसन लगाकर बैठें और शनि के इस बीज मंत्र का जाप करें. आप चाहें तो घर में बैठकर भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं:
ॐ शं शनैश्चरायै नम:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः।
शनि देव के इस मंत्र को वैदिक मंत्र कहा जाता है इस मंत्र का जाप करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और सभी तरह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है.
मंत्र जाप के अलावा शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ भी अवश्य करें. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है, धन की कमी नहीं होती और सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. साथ ही शनि चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का क्रोध कम होता है और शांति का अनुभव होता है.
शनिवार के दिन पहले शिव जी की या कृष्ण जी की उपासना करें और फिर शाम के समय शनि देव की पूजा और मंत्रों का जाप करें. शनि देव के समक्ष दीपक जलाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल डालें और फिर पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनिवार को शनिदेव को काले तिल और काली उड़द भी चढ़ाएं. गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करें.