लंदन। ब्रिटेन के बच्चों में निकट दृष्टि दोष या मायोपिया बढ़ रहा है और पिछले 50 बरस में निकट दृष्टि दोष से पीड़ित बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है। दुनियाभर की बात करें तो अनुमान के अनुसार 2050 तक दुनिया की आधी आबादी निकट दृष्टिदोष का शिकार होगी। हालांकि मायोपिया के कारणों की बात की जाए तो इसका एक कारण पारिवारिक हो सकता है और दूसरा पर्यावरण से जुड़ा है, जो बच्चे के बहुत अधिक समय तक घर के भीतर रहने की वजह से हो सकता है। ज्यादातर लोगों में, निकट दृष्टि दोष आनुवांशिकी व पर्यावरणीय दोनों कारकों के मिश्रण से विकसित होता है, लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि आधुनिक जीवनशैली भी निकट दृष्टि दोष होने का एक कारण हो सकती है।
बच्चे दिन में 40 मिनट घर से बाहर बिताएं
इस बीच एक अध्ययन से पता चलता है कि किताब को आंखों से 25 सेमी से अधिक की दूरी पर रखकर पढ़ने से दृष्टिदोष विकसित होने का खतरा हो सकता है, वैसे दृष्टिदोष विकसित होने में पढ़ने का प्रभाव बहुत कम पाया गया है। बच्चों में अधिक स्क्रीन उपयोग के कारण दृष्टिदोष होने को लेकर भी अलग कारक हैं – शायद इसलिए कि स्क्रीन के उपयोग का अनुमान लगाना और दीर्घकालिक प्रयोग में इसे नियंत्रित करना मुश्किल है। ये है वैज्ञानिकों की बड़ी चिंता : दृष्टिदोष विकसित करने के जोखिम कारकों को देखते हुए, अब यह भी चिंता है कि महामारी के दौरान घर पर रहने की बंदिश व घर पर सीखने से बच्चों की दृष्टि खराब हो सकती है। यदि ब्रिटेन में बच्चों पर इसके प्रभाव को लेकर अभी तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन अन्य स्थानों पर पूर्व में मिले प्रारंभिक परिणाम बताते हैं कि महामारी अधिक बच्चों में दृष्टिदोष विकसित करने का कारण बन सकती है ।