The main addiction of online games is the angry nature of children

ऑनलाइन गेम का मेन एडिक्शन है बच्चों का गुस्सैल स्वभाव होना

पबजी के दीवाने भारत में बेसब्री से बैटलग्राउंड गेम का इंतजार कर रहे हैं। पबजी की निर्माता कंपनी क्रॉटन यह ऐलान कर चुकी है कि 18 जून को भारत में बैटलग्राउंड इंडिया नाम का नया गेम लॉन्च करेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक 20 मिलियन से ज्यादा लोग गूगल प्ले स्टोर में इस गेम को प्री- रजिस्टर कर चुके हैं। ऐलान के बाद से बहस भी छिड़ गई है कि क्या फिर से मोबाइल गेम की लत से बच्चों की आदतें बिगड़ेंगी। जो समय उन्हें यूचर गोल्स के लिए फोकस करना चाहिए वो आनलाइन गेम्स में बर्बाद होगा। शहर के साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि बच्चों में गेम एडिक्शन कैसे पहचानें।

पैरेंट्स ऐसे करें एडिक्शन की पहचान

यदि बच्चे की दिनचर्या में बदलाव नजर आए। उसका पूरा कामकाज आनलाइन गेम के इर्द-गिर्द ही दिखाई देने लगे तो समझिए वह इस खेल की गिरत में जा रहा है। उसका स्वभाव आक्रामक और गुस्सैल हो सकता है। आनलाइन गेम्स खेलने से रोकने पर वह हिंसक हो उठता है या गाली-गलौज भी कर सकता है। इस खेल की लत में आया बच्चा आमतौर पर गुमसुम दिखाई देता है। उसकी याददाश्त में कमी आना, बात बिगड़ने के संकेत हैं।

बच्चों से यूं छुड़ाएं आदत

सबसे पहले पहचानने की कोशिश करें कि बच्चे को वाकई लत है या नहीं? यदि बच्चा लगातार 4- 5 घंटे खेल रहा है, इससे उसकी बाकी चीजें प्रभावित हो रही हैं, उसके व्यवहार में अंतर आ रहा है, तो इसे लत कहा जा सकता है। यदि वह सामान्य खेल की तरह इसे खेल रहा है, तो ये लत नहीं है।

यदि बच्चे को किसी भी आनलाइन गेम की लत है, तो आपको उसे सीधे खेलने से इनकार करने की बजाय उससे बेहतर और मनोरंजक खेल विकल्प देने की कोशिश करें। ये खेल फुटबॉल, क्रिकेट, शतरंज आदि भी हो सकते हैं।

यदि आपको लगता है कि उसकी लत सामान्य नहीं है, यह आगे जाकर घातक हो सकती है, तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक को दिखाएं। घर में लगे वाई-फाई की स्पीड लो रखें। ऐसा होने से उसके इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड में रुकावट आएगी और खेल में परेशानी होगी। इस तरह उसे रोका जा सकता है।

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