कहानी की शुरुआत से पहले आप ये जान लीजिए कि इस सीरीज का नाम ‘सनफ्लावर’ है, चूंकि ये सनफ्लावर सोसायटी के कुछ लोगों की कहानी है। जैसे कि हर सोसायटी में अलग- अलग तरह के लोग होते हैं, वैसे ही लोग सनफ्लावर में भी हैं। पूरी सीरीज एक मर्डर के इर्द- गिर्द घूमती है, हालांकि सीरीज की शुरुआत में ही दर्शकों को दिखा दिया जाता है कि मर्डर किया किसने है, लेकिन क्या सच में मर्डर उस ही शख्स ने किया है, जिसको आपने शुरू में देखा है? ये सवाल आपके दिमाग में अंत तक घूमता रहेगा। मृत्यु को लेकर एक रोचक डायलॉग हैः ‘बार-बार बटन दबाने से लिफ्ट जल्दी नहीं आएगी। ये मौत की तरह है, जब आनी है तभी आएगी।’ बात यहां एक आदमी (कपूर) के मर्डर से निकलती है और दूर तलक जाती है। आप अपनी आंखों से देखते हैं कि किसने हत्या की और कैसे की। पुलिस तफ्तीश करने आती है। शुरुआती मिनटों में हुई हत्या के बाद अंत तक यही देखना होता है कि कानून के लंबे हाथ कातिल तक आखिर कैसे पहुंचेंगे। यही सनफ्लावर का ताना-बाना है। इस मर्डर मिस्ट्री के अलावा भी सीरीज में कुछ किरदारों की अलग- अलग छोटी- छोटी कहानियां चलती हैं, जो अलग- अलग तरह से कोई न कोई मैसेज देती हैं। जैसे कोई सोसायटी बदलकर देश बदलना चाहता है। तो दूसरी ओर एक महिला अपने पति को खुश रहने के लिए अपने आप को पूरी तरह से बदलती रहती है।
कैसा है सितारों का अभिनय
सुनील ग्रोवर (सोनू), रणवीर शौरी (इंस्पेक्टर दिगेन्द्र), गिरीश कुलकर्णी (इंस्पेक्टर तांबे), मुकुल चड्ढा (मिस्टर आहूजा), राधा भट्ट (मिसेज आहूजा), आशीष विद्यार्थी (दिलीप अय्यर) और अश्विन कौशल (राज कपूर) अहम भूमिकाओं में हैं, जो अपने- अपने किरदार के साथ इंसाफ करते दिखते हैं। सीरीज को सुनील ग्रोवर ने अपनी अदाकारी से बांध के रखा है। वहीं रणवीर शौरी और आशीष विद्यार्थी जैसे बेहतरीन सितारों का स्क्रीनटाइम काफी कम था।
क्या है कमी
जी5 पर रिलीज हुई सनफ्लावर आठ कड़ियों में कातिल को ढूंढने की पुलिस-प्रक्रिया दिखाते हुए ऐसे मोड़ पर खत्म होती है, जहां तमाम सवालों के जवाब स्थगित हैं। जबकि वेब सीरीज के दूसरे सीजन की घोषणा नहीं हुई है। सनफ्लावर में कहानी नहीं किरदार रचे गए हैं। किरदारों के बीच सलीकेदार कनेक्ट भी यहां नहीं है। वे अपना-अपना परफॉरमेंस देकर निकल लेते हैं। कोई किरदार स्क्रीन पर मजबूत ताल नहीं ठोकता। डिटेलिंग के नाम पर इतना विस्तार है कि जिस कहानी में घोड़े जैसी रफ्तार चाहिए, वह घोंघा-चाल में बदल जाती है। न सस्पेंस, न थ्रिल, कॉमेडी ढीली और बिखरी है।
क्या है खास और कैसा है निर्देशन
राहुल सेनगुप्ता और विकास बहल ने बढ़िया निर्देशन किया है और सीरीज के कई सीन्स काफी बढ़िया हैं। जैसा कि सुनील ग्रोवर ने हिन्दुस्तान को दिए इंटरव्यू में कहा भी था कि सीरीज के कई सीन्स में आपको तब हंसी आती है, जब आप सोच नहीं रहे होते हैं कि कॉमेडी होगी। ये बात कई बार सीरीज में देखने को मिलती है। चाहें शुरुआत में ही डेड बॉडी के पास में मेडिकल स्टाफ की बातचीत हो या फिर कंपनी के कॉल से सोनू (सुनील ग्रोवर) का टाइमपास करना। इस सीरीज को एक और बात जो खास बनाती है वो ये कि जैसे ही आप आगे क्या होगा, प्रिडिक्ट करेंगे, वैसे ही उससे कुछ अलग आपको देखने को मिलेगा।
देखें या नहीं
8 एपिसोड की इस सीरीज को बेशक परिवार के साथ देखा जा सकता है। हालांकि कुछ सीन्स आप परिवार के साथ देखने में सहज महसूस नहीं करेंगे लेकिन ऐसे सीन्स गिने चुने ही हैं। बाकी जैसे कि करीब करीब हर वेब सीरीज एक सीजन में खत्म नहीं होती है, वैसे ही सनफ्लावर का दूसरा सीजन भी आएगा।
- वेब सीरीज: सनफ्लावर
- निर्देशक: राहुल सेनगुप्ता और विकास बहल
- प्रमुख कास्ट: सुनील ग्रोवर, रणवीर शौरी, मुकुल चड्ढा, आशीष विद्यार्थी, गिरीश कुलकर्णी
- ओटीटी: जी5