NAOJ: धरती से 13.1 अरब प्रकाशवर्ष दूर एक महाविशाल ब्लैक होल से तूफान उठ रहा है। इसस निकलने वाली हवाएं 11 लाख मील प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही हैं। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि घरती से किसी को चंद्रमा तक जाने में 46 सेकंड लगेंगे। चिली में अटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे (ALMA) में रिसर्चर्स ने इन हवाओं की खोज की है जो बिग बैंग के 80 करोड़ साल बाद निकली थीं। जापान की नैशनल ऐस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्लवेटरी ऑफ जापान (NAOJ) के ऐस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि इस Titanic स्टॉर्म से यह संकेत मिलता है कि गैलेक्सीज के केंद्र में स्थित ब्लैक होल से गैलेक्सी के विकास को बल मिलता है।
सूरज से ज्यादा विशाल
टीम का कहना है कि यह इस तरह के तूफान का खोजा जाने वाला पहला उदाहरण है जो ऐसे ब्लैक होल से आ रहा है जो सूरज से अरबों गुना ज्यादा विशाल है। रिसर्चर्स का कहना कि ब्लैक होल का द्रव्यमान आकाशगंगा के केंद्र का अनुपात के बराबर होता है। दोनों एक-दूसरे के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में इस तरह की तू्फानी हवा से ऐसा ही करती है।
इस तरह पैदा हो रही हैं हवाएं
एक महाविशालकाय ब्लैक होल बड़ी मात्रा में पदार्थ को अपने भीतर सोख लेता है। जब यह पदार्थ ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के कारण गति करता है, तो यह ऊर्जा छोड़ता है जो पदार्थ को बाहर की ओर धकेल देता है और इससे ये हवाएं बनती हैं। सुबारू टेलीस्कोप के लार्ग फील्ड की मदद से 13 अरब साल पहले की 100 से अधिक आकाशगंगाओं को देखा गया है, जिनमें महाविशालकाय ब्लैक होल स्थित थे। इसके बाद ALMA की मदद से गैस की हलचल का पता लगाया गया। उनके डेटा से पता चला कि गैस के प्रवाह के कारण तारा बनाने वाला पदार्थ आकाशगंगा से बाहर आता है और तारे बनना बंद हो जाते हैं। इस समय इस तरह के तूफानों का यह पहला उदाहरण है।
ब्रह्मांड में ढूंढ़ी गई तारों की नर्सरी
इससे पहले, एस्ट्रोनोमर्स ने खूबसूरत नक्शों के जरिए ब्रह्मांड की एक तारकीय नर्सरी (Universe Stellar Nurseries) को दिखाया, जहां सितारों का जन्म होता है। इस तस्वीर से पूरे ब्रह्मांड की विविधता का पता चलता है। एस्ट्रोनोमर्स ने ALMA ऑब्जर्वेटरी के टेलिस्कोप के जरिए पास के यूनिवर्स में मौजूद मॉलिक्यूलर क्लाउड्स की गणना की है। पिछली वैज्ञानिक राय के विपरीत ये नर्सरी पूरी तरह एक जैसी नहीं दिखती और एक जैसा कार्य नहीं करती हैं। टीम ने पाया कि ये ब्रह्मांडीय नर्सरी उतने ही विविधता से भरे थे, जितना इंसानों के घर, पड़ोस और हमारे आस-पास के इलाके होते हैं।