Sexual Harassment Case: 'Skin to Skin Contact Is Not Necessary' Supreme Court's Important Decision

यौन उत्पीड़न केस: ‘स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट होना जरूरी नहीं’, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट और POCSO एक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया कि यौन उत्पीड़न के मामले में स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना भी पॉक्सो एक्ट लागू होता है.

दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया गया था कि नाबालिग के निजी अंगों को स्किन टू स्किन संपर्क के बिना टटोलना पॉक्सो एक्ट के तहत नहीं आता. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था. कोर्ट ने अब हाईकोर्ट के इस फैसले को बदलते हुए ये फैसला सुनाया.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि सेक्सुअल मंशा से शरीर के सेक्सुअल हिस्से का स्पर्श पॉक्सो एक्ट का मामला है. यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे का स्पर्श यौन शोषण नहीं है. ऐसी परिभाषा बच्चों को शोषण से बचाने के लिए बने पॉक्सो एक्ट के मकसद ही खत्म कर देगी.

कोर्ट ने दोषी को 3 साल की सजा सुनाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी हुए आरोपी को दोषी पाया. आरोपी को पोक्सो एक्ट के तहत 3 साल की सजा का ऐलान किया गया. कोर्ट ने अपने फैसले में पॉक्सो एक्ट को परिभाषित करते हुए कहा, सेक्सुअल मंशा के तहत कपड़ों के साथ भी छूना पॉक्सो एक्ट के तहत आता है. इसमें ‘टच’ शब्द का इस्तेमाल प्राइवेट पार्ट के लिए किया गया है. जबकि फिजिकल कॉन्ट्रेक्ट का मतलब ये नहीं है कि इसके लिए स्किन टू स्किन कॉन्ट्रेक्ट हो.

अटॉर्नी जनरल ने दायर की थी याचिका
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी. फिर इस याचिका का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग, महाराष्ट्र सरकार सहित कई अन्य पक्षकारों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई. 30 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा था कि हाईकोर्ट के फैसले का मतलब है कि यदि यौन उत्पीड़न के आरोपी और पीड़िता के बीच सीधे स्किन टू स्किन का संपर्क नहीं होता है, तो POCSO act के तहत यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता. अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट के इस फैसले से व्यभिचारियों को खुली छूट मिल जाएगी और उनको सजा देना बहुत पेचीदा और मुश्किल हो जाएगा.

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