Russia doing research on making virus weapon more dangerous than Corona 88 percent people will die as soon as it spreads

कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस हथियार बनाने पर रिसर्च कर रहा रूस, फैलते ही मर जाएंगे 88 फीसदी लोग…

मॉस्को। रूस जानलेवा इबोला वायरस के जरिए बायोलॉजिकल हथियार बनाने पर रिसर्च कर रहा है। ब्रिटेन के कुछ एक्सपर्ट्स ने इस पर चिंता जाहिर किया है। ऐसा समझा जा रहा है कि मॉस्को की खुफिया एजेंसी एफएसबी यूनिट-68240 टोलेडो कोड नेम वाले प्रोग्राम पर काम कर रही है। बता दें कि ब्रिटेन में दो साल पहले रूसी जासूस और उनकी बेटी पर नोविचोक केमिकल के जरिए जानलेवा हमला किया गया था और इस घटना का कनेक्शन एफएसबी यूनिट-68240 से जुड़ा था। एक संस्था ओपेनफैक्टो के मुताबिक रूस के रक्षा विभाग ने एक सीके्रट यूनिट 48वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट बना रखा है। यह सीक्रेट यूनिट बेहद जानलेवा वायरस की स्टडी कर रहा है। इसके पहले भी 33वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जानलेवा नर्व एजेंट नोविचोक को तैयार किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने दोनों ही इंस्टीट्यूट पर प्रतिबंध लगाया है।

ऐसा समझा जा रहा है कि रूस का स्पेशल यूनिट इबोला के साथ-साथ और अधिक खतरनाक वायरस Marburg पर भी रिसर्च कर रहा है. WHO के मुताबिक, Marburg वायरस के संपर्क में आने से 88 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है.

1967 में जर्मनी और सर्बिया में Marburg वायरस फैलने की घटनाएं हो चुकी हैं. ऐसा समझा जाता है कि रिसर्च के लिए युगांडा में पाए जाने वाले हरे रंग के अफ्रीकी बंदरों से वायरस को लाया गया था.

इबोला वायरस से पीड़ित होने पर 50 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. इबोला वायरस से संक्रमित होने पर मरीज के शरीर के कई अंग खराब हो जाते हैं और शरीर से खून निकलने लगता है. 2014 से 2016 के बीच इबोला से 11 हजार लोगों की मौतें हो गई थीं.

 

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