भोपाल। जिनके ऊपर क्वालिटी चेक करने की जिम्मेदार थी, उन्हीं अफसरों से मिलीभगत करके मिलर्स ने करोड़ों रुपए का चावल बाहर बेचकर सड़ा और खराब चावल गोदामों में रखवा दिया। यही चावल बाद में पीडीएस के तहत गरीबों को बांटने के लिए सरकारी राशन दुकानों पर पहुंच गया था। यह खुलासा ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो) की जांच में होने के बाद मप्र राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 8 अफसरों और डेढ़ दर्जन मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस बारे में ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में पाया है कि धान खरीदी के बाद मिलिंग के बाद चावल को गोदामों में नहीं पहुंचाया जाता था, बल्कि खुले बाजार में बेच दिया जाता था। इसके बाद दूसरे मिलर्स या खुले बाजार से दो से तीन साल पुराना सड़ा और घटिया चावल बेहद सस्ते दामों में खरीद कर नान के अनुबंधित या भंडार गृह निगम के गोदामों में रखवा दिया जाता था। इसके बाद यही घटिया चावल पीडीएस के तहत सरकारी राशन दुकानों से गरीबों को वितरित होने के लिए पहुंचाया जाता था। ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी सामने आया कि मिलिंग करने वाले मिलर्स की जितनी क्षमता ही नहीं थी, उससे भी कई गुना ज्यादा धान अफसरों की मिलीभगत से लिया गया। बाद में दूसरे मिलर्स से मिलिंग करवाई गई। इसमें भी करोड़ों रुपए की गड़बड़ी की गई।
दशकों से चल रहा है गोरखधंधा चावल घोटाला दशकों से चल रहा था, लेकिन अभी ईओडब्ल्यू ने सिर्फ चालू वर्ष 2020 की अवधि की जांच की है। इसमें साफ हो गया है कि कभी अच्छा चावल मिंिलग के बाद गोदामों तक पहुंचता ही नहीं, बल्कि पहले ही बेच दिया जाता है। इस बीच क्वालिटी चेक करने वाले नान के अधिकारी कागजों में सब कुछ सही ठहराते रहे।
यह आए घेरे में:
मनोज श्रीवास्तव, प्रभारी जिला प्रबंधक और संदीप मिश्रा, गुणवत्ता निरीक्षक मंडला, आरके सोनी, पूर्व प्रबंधक, मुकेश कनेरिया, गुणवत्ता निरीक्षक, नागेश उपाध्याय, गुणवत्ता निरीक्षक, एसएल द्विवेदी, गुणवत्ता निरीक्षक, राकेश सेन, गुणवत्ता निरीक्षक, लोचन सिंह टेमरे, गुणवत्ता निरीक्षक, बालाघाट