Revealed in the study: There is no evidence of more serious illness of infected children in the third wave, read what kind of symptoms will be seen

अध्ययन में खुलासा: तीसरी लहर में संक्रमित बच्चों के अधिक गंभीर बीमार होने के साक्ष्य नहीं, पढ़ें किस तरह के लक्षण देखने को मिलेंगे

नई दिल्ली। लैंसेंट कोविड मिशन इंडिया टास्क फोर्स ने कोरोना के अब तक के आंकड़ों की समीक्षा के बाद एक राहत भरा खुलासा किया है। इसमें देश में कोरोना की तीसरी लहर आने पर संक्रमित बच्चों के अधिक गंभीर रूप से बीमार पड़ने के ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। यह अध्ययन दिल्ली-एनसीआर, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र के दस अस्पतालों के आंकड़ों को लेकर किया गया।

तीन बाल चिकित्सकों की सलाह से रिपोर्ट तैयार

तीसरी लहर में बच्चों पर असर को लेकर एम्स के तीन बाल चिकित्सकों की सलाह से रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें बताया गया कि अधिकतर बच्चों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते। जिनमें लक्षण मिलते भी हैं तो वह हल्के या मध्यम होते हैं जिनका घर पर ही चिकित्सीय सलाह से इलाज हो जाता है।

स्वस्थ बच्चों में जान गंवाने का खतरा न के बराबर

अब तक दो लहरों में महज 2600 बच्चों को ही अस्पताल ले जाना पड़ा है। जिन बच्चों मे मधुमेह, कैंसर, खून की कमी और कुपोषण जैसी पूर्व बीमारियां थीं उनकी हालत ही अधिक बिगड़ी। सामान्य रूप से स्वस्थ बच्चों में कोरोना से जान गंवाने का खतरा न के बराबर है।

ये हैं लक्षण

अधिकतर बच्चों में बुखार, जुकाम या डायरिया के लक्षण जैसे पेट में दर्द, उलटी के लक्षण देखने को मिलेंगे। ऐसे मामलों में बिना घबराये डॉक्टरों की सलाह मानें तो बच्चे जल्द ही घर में ही स्वस्थ हो जाएंगे। इसमें भी 10 से कम उम्र वाले बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक उम्र वालों की तुलना में कम ही होगा।

महामारी के चलते टीकाकरण में आई कमी

कोविड की दूसरी लहर के बीच बच्चों के नियमित टीकाकरण में भारी गिरावट आई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जाहिर की है। विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को मीडिया को बताया कि देश में एक वर्ष से कम उम्र के अनुमानित 20-22 लाख बच्चों को हर महीने राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत टीका लगाया जाता है। जो प्रति वर्ष लगभग 260 लाख बच्चों में तब्दील होता है। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान बच्चों का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम काफी प्रभावित हुआ।

नहीं लग पाए डीटीपी, एमएमआर टीके

अधिकारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को डीटीपी, न्यूमोकोकल, रोटा वायरस और एमएमआर जैसी बीमारियों के खिलाफ जरूरी नियमित टीकाकरण से चूक गए। ज्यादातर लोग इस दौरान खुद को और बच्चों को कोरोना संक्रमण पकड़ने के डर से टीकाकरण केंद्रों में लाने से डर गए, जिससे ये जरूरी टीके नहीं लग पाए।

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