Radhika Yadav murder case: A painful incident

राधिका यादव हत्याकांड: एक दर्दनाक घटनाक्रम

10 जुलाई 2025 को हरियाणा, गुरुग्राम के सेक्टर 57 इलाके में एक सनसनीखेज घटना हुई जब 25 वर्षीय योग्यता से संपन्न टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव को उसके ही पिता दीपक यादव ने रसोई में गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। घटना ने पूरे देश में स्तब्धता फैला दी, क्योंकि अत्याचार करने वाला पिता ही था।

राधिका: संघर्ष और उपलब्धियाँ

राधिका यादव एक राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी थीं, जिन्होंने युवा श्रेणी में कई पदक जीते। हालांकि कुछ समय पहले कंधे की चोट के कारण उनका प्रतियोगी करियर बाधित हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह कोचिंग अकादमी चली रहीं थी और सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय थीं

विवाद का केन्द्र: सोशल मीडिया और अकादमी

कहानी में नए मोड़ तब आए जब राधिका ने इंस्टाग्राम रील्स बनाना शुरू किया। इसी वजह से गांव में कई लोगों ने उसके पिता को “बेटी कमाती है, बाप खा रहा है” जैसे ताने दिए

इन तानों से दीपक यादव मानसिक रूप से बेहद अस्थिर हो गए। कुछ दिनों तक ये भावनाएं उनके मन में घर करती रहीं, जब तक उन्होंने 10 जुलाई को राधिका को पीछे से गोली मार कर हत्या कर दी ।

घटना की भयावहता

घटना सुबह करीब 10:30 बजे हुई, जब राधिका खाना बना रही थीं। अचानक उनके पिता ने अपनी लाइसेंसशुदा रिवॉल्वर से तीन से पांच गोलियाँ चला दीं, जिससे राधिका की मृत्यु हो गई

दीपक के बड़े भाई ने बताया कि दीपक ने हत्या के तुरंत बाद कहा था कि यह “कन्या वध” हो गया । आरोपी खुद पुलिस के समक्ष आत्मार्पण कर चुके हैं, और न्यायिक हिरासत में भेजे जा चुके हैं ।

फैमिली ड्रामा और पुलिस पूछताछ

पुलिस अभी मामले की विभिन्न परतों की जांच कर रही है:

  1. सोशल मीडिया रील्स – पिता का बड़ा विरोध और गांव के ताने
  2. टेनिस अकादमी – अकादमी से लाभ की वजह से पिता को लगे अपमान के ताने
  3. म्यूजिक वीडियो – पुलिस अब इस पहलू की भी जांच कर रही है, लेकिन पिता ने इसे हत्या का कारण नहीं माना
  4. मां और भाई का रहस्य – हत्या के समय मां बयान देने से इनकार कर रही हैं, और भाई गायब है; यह पहलू पुलिस जांच का केंद्र बना हुआ है

मानसिक तनाव: तीन दिन का तनाव और आत्महत्या की इच्छा

रिपोर्ट्स के अनुसार, दीपक तीन दिन तक इमोशनल रूप से तनाव में रहे, आत्महत्या का ख्याल भी आया, लेकिन अंततः उन्होंने इतना भयावह कदम उठाया । यह घटना पितृसत्तात्मक सोच और मानसिक दबाव की विकराल तस्वीर का प्रतिनिधित्व है।

सामाजिक दृष्टिकोण: लैंगिक भेदभाव और सम्मान की मानसिकता

इस मामले ने भारतीय समाज में फैले लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक मानसिकता के मुद्दे को उजागर किया है। जहाँ बेटियों की उपलब्धियों पर गर्व होता है, वहीं उनकी कमाई पर ताने दिये जाते हैं

राजनीतिक और सामाजिक मंच पर इस घटना ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियानों की सार्थकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं

भविष्य की दिशा: क्या जांच और सजा होंगी निष्पक्ष?

पुलिस ने हत्या के कई पहलुओं—मनोरोग, मानसिक दबाव, सामाजिक ताने—को ध्यान में रख जांच प्रारंभ की है। वर्तमान में दीपक की 14 दिन की न्यायिक हिरासत सुनिश्चित की गई है

राधिका की मां की चुप्पी और भाई का अनुत्तरित रह जाना जांच को और भी पेचीदा बना रहा है, जिससे पुलिस को संभावित साजिश का संदेह है

राधिका यादव की हत्या सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि देश में फैले पितृसत्तात्मक विचारों, बेटियों की कमाई को बेइज्जती के स्वरूप में दिखाने वाली मानसिकता, और परिवारिक आंतरिक द्वंद्व का दर्पण है।

इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बेटियों की शिक्षा, खेल, कला और स्वतंत्रता को सम्मानित कैसे किया जाए। समाज को अब संवेदनशील होकर लड़कियों की आज़ादी, आत्मनिर्भरता व सुरक्षित माहौल की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

आगे अब जांच अधिकारी निर्णायक साक्ष्यों के आधार पर साबित करेंगे कि क्या दीपक ने सिर्फ बाहरी दबाव में यह कुकृत्य किया, या परिवार के अंदर कोई गंभीर साजिश थी। परंतु एक बात स्पष्ट है: इस कांड ने समाज के सामूहिक मानसिकता में सुधार और बेटियों को समान सम्मान देने की अनिवार्य जरूरत पर प्रकाश डाला है।

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