PM Modi said on constitution day: one nation one election country needs today

संविधान दिवस पर बोले पीएम मोदी: वन नेशन, वन इलेक्शन आज देश की जरूरत

नई दिल्ली। पीएम मोदी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से गुजरात के केवडिया में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे हैं। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की शुरूआत वर्ष 1921 में की गई थी। इस वर्ष पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष और सम्मेलन के अध्यक्ष ओम बिड़ला, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी उपस्थित हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है।

आज मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी की बरसी भी है। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मुंबई हमले के जख्म भारत भूल नहीं सकता। नया भारत नई रीति-नीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है। आतंक को मुंहतोड़ जवाब देने वाले हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं। प्रधानमंत्री ने वन नेशन-वन इलेक्शन की जरूरत पर भी जोर दिया।

वन नेशन, वन इलेक्शन पर विचार जरूरी
पीएम मोदी ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर सोच-विचार को जरूरी बताते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी इस बारे में गाइड कर सकते हैं। पूरी तरह डिजिटाइजेशन का समय आ गया है। पीठासीन अधिकारी इसे सोचेंगे तो विधायकों को आसानी होगी। अब हमें पेपरलेस तरीकों पर जोर देना चाहिए। संविधान सभा इस बात को लेकर एकमत थी कि भारत में बहुत सी बातें परंपराओं से स्थापित होंगी। विधानसभा में चर्चा से ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे जुड़ें, इसके लिए कोशिशें होनी चाहिए। जिस विषय की सदन में चर्चा हो, उनसे संबंधित लोगों को बुलाया जाए। मेरे पास तो सुझाव हैं, लेकिन आपके पास अनुभव है।

कोरोना काल में जनता ने मजबूती दिखाई
इमरजेंसी के दौर के बाद विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका काफी कुछ सीखकर आगे बढ़े। कोरोना काल में भारत की 130 करोड़ की जनता ने परिपक्वता का परिचय दिया है। इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तय समय से ज्यादा काम हुआ है। सांसदों ने वेतन में कटौती कर प्रतिबद्धता जताई है।

संकल्प पूरा करने के लिए मिलकर काम करना है
कोरोना दौर में हमारी चुनाव प्रणाली भी दुनिया ने देखी। समय पर नतीजे आना और नई सरकार बनना इतना आसान नहीं है। संविधान से मिली ताकत इसे आसान बनाती है। आने वाले समय में संविधान 75वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में व्यवस्थाओं को समय के हिसाब से बनाने के लिए हमें संकल्पित भाव से काम करना होगा। संकल्प को सिद्ध करने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक साथ मिलकर काम करना है।

जनता से जुड़ी योजनाओं को अटकाने वालों को कोई मलाल नहीं
आज केवडिया डैम का लाभ गुजरात के साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान को भी हो रहा है। जब राजस्थान को पानी पहुंचाया तो मुझसे मिलने भैरों सिंह शेखावत और जसवंत सिंह मिलने आए और मुझे आशीर्वाद दिया। जनता से जुड़ी ये परियोजना लंबे समय तक अटकी रही। ये बरसों पहले हो सकता था, लेकिन जनता को इससे दूर रखा गया। जिन्होंने ऐसा किया, उन्हें कोई मलाल, कोई शिकन तक नहीं। हमें देश को इससे निकालना होगा। सरदार पटेल की मूर्ति के सामने जाकर एक नई ऊर्जा मिलती है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखकर गौरव की अनुभूति होती है।

संविधान की भाषा ऐसी हो जो सभी को समझ आए
हर नागरिक का आत्मविश्वास बढ़े, संविधान की भी यही अपेक्षा है। यह तभी होगा, जब हम कर्तव्यों को प्राथमिकता देंगे। लेकिन पहले के दौर में इसे ही भुला दिया गया। संविधान में हर नागरिक के लिए कर्तव्यों का जिक्र है। हमारी कोशिश ये होनी चाहिए कि संविधान के प्रति आम नागरिकों की समझ बढ़े। संविधान की भाषा ऐसी होनी चाहिए, जो सबको समझ आए।

 

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