भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सैन्य झड़पों में भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर एक निर्णायक रणनीतिक बढ़त हासिल की। इस ऑपरेशन ने न केवल पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को कमजोर किया, बल्कि चीन और तुर्किये से प्राप्त हथियारों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए।
ऑपरेशन सिंदूर: एक निर्णायक सैन्य कार्रवाई
7 मई 2025 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के पंजाब और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में स्थित 14 ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इसमें राफेल लड़ाकू विमानों से SCALP और AASM हैमर मिसाइलों का उपयोग किया गया। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के करीबी सहयोगियों और परिवार के सदस्यों की भी मौत हुई। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, लेकिन भारतीय वायुसेना ने इस दावे को खारिज किया।
चीन और तुर्किये के हथियारों की विफलता
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीनी निर्मित PL-15 मिसाइलों, HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम और JF-17 लड़ाकू विमानों का उपयोग किया। हालांकि, भारतीय वायुसेना की उन्नत तकनीकों और रणनीतिक योजना ने इन हथियारों को निष्क्रिय कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने पाकिस्तान के माध्यम से अपने हथियारों की प्रभावशीलता का परीक्षण किया, लेकिन भारतीय सैन्य क्षमताओं के सामने ये हथियार प्रभावी नहीं रहे।
तुर्किये की भूमिका और प्रतिक्रिया
तुर्किये ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान की, जिसमें तुर्की निर्मित ड्रोन और हथियार शामिल थे। हालांकि, भारतीय वायुसेना ने इन ड्रोन को प्रभावी ढंग से नष्ट कर दिया। इससे तुर्किये की सैन्य सहायता की प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं। भारत में तुर्किये के प्रति नकारात्मक भावना बढ़ी है, और कई नागरिकों ने तुर्किये के खिलाफ आर्थिक और पर्यटन बहिष्कार की पहल की है।
पाकिस्तान की सैन्य कमजोरियां उजागर
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सैन्य कमजोरियों को उजागर किया। उपग्रह चित्रों से पुष्टि हुई है कि चार प्रमुख पाकिस्तानी एयरबेसों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे पाकिस्तान की हवाई रक्षा क्षमता में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान के परमाणु भंडारण सुविधाओं की सुरक्षा में भी गंभीर चूकें पाई गईं, जिससे उसकी परमाणु संपत्ति की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को कमजोर किया और यह सिद्ध कर दिया कि भारत की सैन्य रणनीति और तकनीकी क्षमताएँ क्षेत्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चीन और तुर्किये के हथियारों की विफलता ने पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की कमजोरियों को उजागर किया है, जिससे भविष्य में क्षेत्रीय रणनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना है।