Only mother's milk is fed to children from newborn to a few years old.

नवजात शिशु से लेकर कुछ वर्ष के बच्चो को सिर्फ माँ का ही दूध पिलाया जाता है

माँ के द्वारा बच्चे को दूध पिलाया जाता है उसे स्तनपान कहते है। नवजात शिशु से लेकर कुछ वर्ष के बच्चो को सिर्फ माँ का ही दूध पिलाया जाता है डॉक्टर 6 महीने तक के बच्चो को स्तनपान कराने की सलाह देते है इस दूध में बच्चे के लिए सभी पोषण व तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है इसी प्रक्रिया को ब्रेस्टफीडिंग अर्थात् स्तनपान कहते है।

बच्चो को भूख लगने का संकेत

नवजात शिशु या कुछ वर्ष के बच्चे भूख लगते समय या किसी भी जरूरत के लिए बोल नहीं पाते है वह सिर्फ संकेत देते है। यह संकेत निम्नलिखित है।

बच्चे का अधिक रोना: छोटे बच्चे बोल पाने में असमर्थ होते है लेकिन जब इन बच्चो को भूख लगती है तब यह रोते हुए भूख लगने का संकेत देते है और माँ के स्तनपान करने पर बच्चे चुप हो जाते है

इशारे करना: जब बच्चे को भूख लगती है तब वह इशारे करते हुए अपनी बातों को समझाने की कोशिश करते है, बच्चे माँ के स्तन की ओर इशारा करते हुए भूख का संकेत देते है।

गुस्से में हाथ पैर मारना : बच्चो को अधिक भूख लगने पर या इशारे ना समझने पर बच्चे गुस्से में हाथ पैर मारने लगते है इस संकेत से समझ जाना चाहिए कि बच्चे को भूख लग रही है।

 

बच्चो के लिए स्तनपान के फायदे 

  • बच्चो को अनेक रोगों से बचाने, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में स्तनपान ही मददगार साबित होता है।
  • जो बच्चे स्तनपान करते है उनका मस्तिष्क का विकास तेजी से होता है।
  • जब माँ बच्चो को स्तनपान कराती है तो माँ के गर्भाशय और अंडाशय के कैंसर होने की संभावना कम रहती है।
  • माँ का स्तनपान बच्चे की शारीरिक वृद्धि, विकास और संतुलित पोषण व आहार प्रदान करता है।

 

माँ के लिए स्तनपान कराने के फायदे  

घाव का जल्दी भरना: जब माँ बच्चे को जन्म देती है तो उनके शरीर में कई घाव व दर्द बना रहता है लेकिन स्तनपान कराने की वजह से यह दर्द व घाव जल्दी से भर जाते है।

माँ और बच्चो के बीच बेहतर सम्बन्ध: मां और बच्चो के बीच स्तनपान बेहतर सम्बन्ध बनाता व रिश्ते भी मजबूत करता है

वजन का नियंत्रण में रहना: प्रेग्नेंसी के समय माँ का वजन बढ़ने लगता है लेकिन स्तनपान कराने की वजह से कैलोरी कम होती है जिससे बढ़ते वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।

हार्मोन का संतुलित होना: स्तनपान कि वजह से माँ के हार्मोन संतुलित रहते है जिसके कारण माँ को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है साथ ही कील- मुंहासे होने की संभावना कम बनी रहती है।

 

स्तनपान कराने के सही तरीके

उल्टे हाथ की दिशा : यदि माँ सीधे स्तन से बच्चे या नवजात शिशु को स्तनपान करा रही है तो बच्चे को उसके विपरीत दिशा यानी उल्टे हाथ से पकड़ा जाता है और सीधे हाथ से स्तन को पकड़कर बच्चे या नवजात शिशु को स्तनपान कराया जाता है।

पीठ के बल लेटकर : यदि माँ थकान महसूस कर रही है या घर में ही बच्चे को स्तनपान करा रही है तो मां पीठ के बल लेटकर बच्चे को अपने ऊपर लेटाकर स्तनपान करा सकती है। इस तरीके से नवजात शिशु या बच्चा आसानी से दूध पी सकता है।

गोदी में बैठाकर स्तनपान कराना : गोदी में बैठाकर बच्चे को स्तनपान कराने के तरीके को क्रॉस क्रेडिल कहते है यह तरीका सबसे उच्च माना गया है इसमें मां को पहले संतुलित स्थिति में बैठना होता है फिर बच्चे को गोदी में लेटाकर और उसके सिर को माँ के एक हाथ से सहारा देकर स्तनपान कराया जाता है।

 

पहली बार माँ बनने के दौरान स्तनपान कराने के टिप्स

पहली बार माँ बनने के बाद नवजात शिशु को दूध या स्तनपान कराने के टिप्स माँ को नहीं पता होते है यह सभी टिप्स निम्नलिखित है।

  • माँ को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे नवजात शिशु को आसानी से स्तनपान कराया जा सके जैसे हल्के से ढीले टीशर्ट या खींचाव वाले कपड़े और आगे से खुलने वाली कमीज़ या कुर्ती।
  • माँ को अपने साथ दुप्पटा रखना चाहिए जिससे बच्चे को स्तनपान के समय ढक सके।
  • स्तनपान के समय बच्चे के सिर या पीठ को सहारा देना आवश्यक होता है।
  • बच्चे को स्तनपान कराने से पहले माँ को दोनों स्तन साफ कपड़े से पोंछ लेना चाहिए।
  • यदि किसी माँ के स्तन से स्तनपान कराने के बाद दूध टपकता है तो उन्हें अपने साथ टिश्यू पेपर या वॉशेबल ब्रेस्ट पैड का प्रयोग करना चाहिए।
  • यदि किसी माँ की डिलीवरी सी सेक्शन या सर्जरी से हुई हो तो स्तनपान कराने में माँ को कठिनाई होती है ऐसी स्थिति में अस्पताल में उपस्थित डॉक्टर या नर्स की सहायता अवश्य ले।
  • स्तनपान कराने के अलग अलग तरीके है लेकिन बच्चा जिस तरीके में आराम महसूस करता है उसी तरीके से बच्चे को स्तनपान कराया जाए

 

स्तनपान के लिए चिकित्सक विचार या सलाह लेना जरूरी है या नहीं

यह कुछ स्थिति निम्नलिखत है जब स्तनपान कराने से बच्चे को नुकसान भी हो सकता है

  • यदि माँ एचआईवी पॉजिटिव है तो बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए क्योंकि एचआईवी के संक्रमण दूध के जरिए बच्चे तक पहुंच सकता है
  • माँ को कैंसर रोग का इलाज के लिए कीमोथेरेपी की गई हो तब बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए।
  • माँ को टीबी रोग होना
  • माँ अवैध ड्रग्स यानी कोकेन का इस्तेमाल करती हो तो इस स्थिति में भी स्तनपान नहीं कराना चाहिए।

 

स्तनपान के साथ आने वाली कुछ सामान्य कठिनाइयां

दूध वाहिनी में रुकावट आना : माँ के शरीर में दूध का उत्पादन एल्वियोली द्वारा होता है और दूध एरियोला के अन्तर्गत इकठ्ठा करता है। स्तनपान के दौरान बच्चा एरियोला को चूसता है लेकिन दूध वाहिनी एल्वियोली में रुकावट आने की वजह से बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता है। दूध वाहिनी में रुकावट आने की वजह से मां के स्तन में सूजन या गांठ बन जाती हैं जिसे छूने पर मां को दर्द महसूस होता है।

निपल्स में उभार ना होना : कई माँ के निपल्स में उभार नहीं होता यानी यह निपल्स अंदर को या चपटे हुए होते है जिसके कारण बच्चे को स्तनपान के समय परेशानी का सामना करना पड़ता है और बच्चा सही से दूध नहीं पी पाता है।

रूखे व निप्पल में क्रैक होना : जब नवजात शिशु या बच्चो को सही स्थिति या तरीके से स्तनपान नहीं कराया जाता है तो निप्पल में रूखापन व क्रैक की समस्या सामने आती है।

माँ के स्तन में दूध कम आना : जब माँ के शरीर में कमजोरी, थायरॉइड और हार्मोन का संतुलन सही नहीं रहता है तब माँ के स्तन से दूध कम निकलता है जिसके कारण बच्चे का पूरा पेट नहीं भर पाता है।

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