मुंबई। देश में आज से सोने की हालमार्किंग का नियम लागू हो गया है। सोने की हालमार्किंग का नियम पांचवी बार में लागू हुआ है। इसे लागू करने की तारीख को कई बार आगे बढ़ाया गया। नियम लागू होने के बाद ज्वैलर्स को 14, 18 और 22 कैरेट की ज्वैलरी बेचने की ही अनुमति होगी। नियम का उल्लंघन करने पर ज्वैलर के खिलाफ जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है। ग्राहक को हालमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी। मतलब आपको सोने की सही कीमत मिल सकेगी।
अब तक देश में दो तरह की ज्वैलरी बेची जाती रही है जो हालमार्किंग और नॉन हालमार्किंग की है। देश भर में बड़े ज्वैलर्स हालमार्क ज्वैलरी बेचते हैं लेकिन यह बाजार का बहुत छोटा हिस्सा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार भारत में चार लाख ज्वैलर्स हैं जिनमें से करीब 36 हजार ही BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) सर्टिफाइड हैं।
जानें क्या होगा आगे :
हालमार्किंग लागू होने के बाद सवाल उठता है कि घरों में पुराने रखे सोने और सोने के जेवरों का क्या होगा। BIS के अनुसार ज्वैलर ग्राहक की पुरानी ज्वैलरी आगे भी खरीद सकेंगे। पुरानी ज्वैलरी को गलाकर नई ज्वैलरी बन सकेगी। लेकिन लेकिन जब ज्वैलर्स नई ज्वैलरी बेचेंगे तो उस पर BIS हालमार्क होना जरूरी है।
15 जून 2021 के बाद भी बिना हालमार्किंग वाला सोना एक्सचेंज किया जा सकेगा। इसके अलावा अगर आप चाहें तो अपने ज्वैलर के जरिए अपने सोने की हालमार्किंग करा सकते हैं। आप सीधे अपनी पुरानी ज्वैलरी पर हालमार्क नहीं लगवा सकेंगे। उसके लिए ज्वैलर के जरिए ही आना होगा।