Iran-Israel War 2025: Missiles rained in the 11 days of war destroyed cities crying humanity – know who lost what and what they gained in this war

ईरान-इज़रायल युद्ध 2025: 11 दिनों की जंग में बरसीं मिसाइलें, उजड़े शहर, रोती इंसानियत – जानिए इस युद्ध में किसने क्या खोया और क्या पाया

ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 ने मध्य पूर्व में एक बार फिर से अशांति और विनाश की लहर दौड़ा दी है। 11 दिनों तक चले इस सैन्य संघर्ष में मिसाइल हमलों, ड्रोन अटैक्स, हवाई बमबारी और जमीनी झड़पों ने क्षेत्र को युद्ध के मैदान में तब्दील कर दिया। हालांकि यह संघर्ष सीमित अवधि का था, लेकिन इसके प्रभाव लंबे समय तक महसूस किए जाएंगे। इस लेख में हम विश्लेषण करेंगे कि इस युद्ध में ईरान और इज़रायल ने क्या खोया, क्या रणनीतिक या राजनैतिक लाभ हासिल किया, और सबसे महत्वपूर्ण बात – इंसानियत की क्या कीमत चुकानी पड़ी।

युद्ध की शुरुआत कैसे हुई?

इस युद्ध की शुरुआत एक विवादित हमले से हुई, जिसमें ईरान ने दावा किया कि इज़रायल ने उसकी सीमा में स्थित एक सैन्य ठिकाने पर हमला किया है। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने इज़रायल के विभिन्न हिस्सों पर मिसाइलें दागीं। देखते ही देखते यह संघर्ष व्यापक रूप ले बैठा, और 11 दिनों तक लगातार दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने रहीं।

मिसाइलों और ड्रोन हमलों की बाढ़

इस युद्ध में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ मिसाइलों और ड्रोन तकनीक का।

  • ईरान ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग किया, जिनमें से कई इज़रायली रक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट की गईं, लेकिन कुछ आबादी वाले क्षेत्रों में आकर गिरीं, जिससे नागरिकों की मौतें हुईं।
  • इज़रायल ने अपने अत्याधुनिक “आयरन डोम” और “डैविड स्लिंग” जैसे डिफेंस सिस्टम के सहारे कई हमलों को रोका, लेकिन जवाबी कार्रवाई में उसने भी ईरान के सैन्य और औद्योगिक ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की।

जान-माल का नुकसान

नागरिक हताहत:

  • अनुमान है कि करीब 4,000 से अधिक लोग इस युद्ध में मारे गए, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
  • हजारों लोग घायल हुए, जबकि लाखों को सुरक्षित स्थानों पर पलायन करना पड़ा।

ढांचागत नुकसान:

  • इज़रायल में कई रिहायशी कॉलोनियां और बिजली संयंत्र क्षतिग्रस्त हुए।
  • ईरान में सैन्य ठिकानों के साथ-साथ नागरिक अस्पताल, स्कूल और उद्योगों को नुकसान पहुंचा।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं और राजनयिक हलचल

इस युद्ध ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया।

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने युद्धविराम की अपील की।
  • अमेरिका और रूस ने दोनों देशों पर दबाव बनाया कि वे संघर्ष को रोकें।
  • कई देशों ने अपने नागरिकों को तुरंत इन क्षेत्रों से निकालने की व्यवस्था की।
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