भोपाल। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान काम-धंधा ठप होने से लोग वैसे ही परेशान हैं, ऊपर से महंगाई ने जीना मुहाल कर दिया है। प्याज के बढ़ी हुई कीमतों ने जहां आम लोगों के किचन का बजट बिगाड़ दिया है, वहीं होटल वालों के लिए भी यह सिर दर्द बना हुआ है। राजधानी में रविवार को नवबहार सब्जी मंडी में प्याज के थोक भाव प्याज की 30 से 60 रुपए किलो तक थे। वहीं फुटकर में यह प्याज 80 रुपए प्रति किलो तक बिकी। करोंद मंडी के थोक व्यापारी मोहम्मद सलीम कादर की मानें तो महाराष्ट्र और कर्नाटक में बारिश के चलते प्याज की फसल खराब हो गई। इससे आवक पर असर पड़ा है। थोक कारोबारी मोहम्मद मुश्ताक, राजेंद्र सैनी और विष्णु राजपूत का कहना है कि शाजापुर से लेकर उज्जैन तक की पट्टी में प्याज होती है, लेकिन इस बार फसल खराब होने से आवक आधी से भी कम हो गई है। वहीं कोरोना के कारण हरी सब्जियां उगाने वाले कि सानों ने ज्यादातर फसलें उजाड़कर अगली फसल बो दी है, जिससे दाम 5 से 15 रुपए प्रति किलो बढ़ गए हैं।
होटलों में सलाद से प्याज गायब
प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का असर होटलों में भी नजर आ रहा है।होटल संचालक प्याज की जगह खीरा या मूली दे रहे हैं।यदि किसी को प्याज चाहिए, तो 20 रुपए अलग से लिया जा रहा है। जिंसी स्थित होटलमालिक ममनून ने बताया कि प्याज के दाम बढ़ने से डिश की कॉस्ट बढ़ जाती है। सलाद में अधिकतर लोग प्याज खाना पसंद करते हैं, लेकिन अब उसकी जगह खीरा और मूली आदि दे रहे हैं। कई बार ग्राहक प्याज को लेकर तकरार भी करते हैं। हम पहले से ही बहुत कम दाम में खाना बेचते हैं। प्याज के दाम बढ़ जाने से हमें घाटा हो रहा है।
प्याज खाना लगभग बंद ही कर दिया है
जुमेराती में रहने वाली साजिदा बी के परिवार में छह लोग हैं। वह बताती हैं कि हर माह उनके यहां सात किलो तक प्याज की खपत होती है। कुछ दिन पहले जब प्याज 40-45 रुपए किलो थी, तो उन्होंने तीन किलो खरीदी थी। वह कहती हैं, जबसे सुना है कि भाव 80 रुपए किलो हो गए हैं, प्याज का उपयोग हम लोगों ने लगभग बंद कर दिया है। इसी तरह अंबेडकर नगर में रहने वाले पुष्पेंद्र ने बताया कि उनके यहां प्याज का उपयोग सिर्फ सब्जी बनाने में ही किया जा रहा है। उसका अन्य उपयोग हमने बंद कर दिया है। वह कहते हैं, महंगाई ने घर का बजट ही बिगाड़ दिया है।