India will first remove army from the southern shore of Pangong lake in Ladakh

लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से भारत पहले हटाएगा सेना

पेइचिंग। चीन के सरकारी भोंपू ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दावा किया है कि चीन और भारत के बीच सेना और हथियारों को पीछे हटाने पर सहमति हो गई है। दोनों ही देश जल्द ही सेनाओं को बारी-बारी से हटाने की योजना का लागू कर देंगे। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि सेना को हटाने योजना को इस आधार पर लागू किया जा रहा है कि भारत ने अपनी सेना को सबसे पहले गैरकानूनी तरीके से पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भेजा था और उसे अपनी सेना को पहले हटाना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि सेनाओं को हटाने के फैसले का नियंत्रण रेखा और सीमा के मुद्दों को लेकर दोनों देशों की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सूत्रों ने कहा, चीन सीमा पर शांति बनाए रखने को प्रतिबद्ध है। साथ ही चीन अपने इस प्रण पर कायम है कि वह अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय एकजुटता की सुरक्षा करेगा। फिंगर 4 से पीछे हटने की खबर का किया खंडन इससे पहले शुक्रवार को ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय मीडिया में आई पैंगोंग झील के फिंगर 4 से पीछे हटने की खबर का खंडन किया था। चीनी अखबार ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में अग्रिम मोर्चों से भारत और चीन के सैनिकों, टैंकों, तोपों और हथियारों से लैस वाहनों को वापस लेने पर कोई सहमति नहीं बनी है। ग्लोबल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि भारतीय मीडिया में आई इस तरह की खबरें गलत हैं। ग्लोबल टाइम्स ने कहा, यह दोनों पक्षों के उनके स्थापित लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायक नहीं है। इससे पहले भारतीय मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद बनी आपसी सहमति के अनुसार अब पीएलए अपने सैनिकों को फिंगर 8 से पूरब की तरफ धकेलेगा, जबकि भारतीय सैनिक पश्चिम की तरफ फिंगर 2 और फिंगर 3 के बीच धन सिंह थापा पोस्ट की तरफ पीछे आएंगे। यह काम चरण-दर-चरण पूरा होगा। फिंगर 3 से फिंगर 8 तक का इलाका बफर जोन की तरह से होगा जिस पर कोई गश्त नहीं करेगा। इसी बात को लेकर फिलहाल सहमति बनी है।

देसपांग पर अलग से होगी बातचीत

देसपांग के मैदानी इलाके पर अलग से बातचीत होगी। यहां चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को उनके परंपरागत पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक पहुंचने में पिछले 6 महीने से अड़ंगा डाल रहे हैं। एक सूत्र ने बताया, देसपांग की समस्या पुरानी है। पहली प्राथमिकता पैंगोंग झील-चुसुल एरिया में गतिरोध खत्म करने की है। इसे खत्म करने की समयबद्ध प्रक्रिया इसी महीने शुरू हो सकती है, बशर्ते इसकी रूपरेखा तय हो जाए। इसके लिए हर दिन हॉटलाइन के जरिए बातचीत हो रही है। वहीं, कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत का अगला दौर भी होना है।

8वें दौर की कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता में बनी थी सहमति

दोनों देशों ने पैंगोंग झील व चुसुल इलाकों में एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य संघर्ष की सारी तैयारियां कर रखी हैं। सात महीनों से जारी इस सैन्य गतिरोध को खत्म करने की दिशा में दोनों देशों के बीच बनी सहमति को एलएसी पर शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच 6 नवंबर को हुई 8वें दौर की सैन्य वार्ता में एलएसी पर तनाव खत्म करने की व्यापक सहमति बन पाई थी। अब भारत और चीन की सेनाएं इसे अंजाम देने की रूपरेखा पर बातचीत कर रही हैं। योजना के मुताबिक, सेना और हथियारों को वापस लेने का काम पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे से शुरू होगा, जहां चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने मई महीने की शुरुआत से ही फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के 8 किमी की जमीन पर कब्जा कर उसे किले में तब्दील कर रखा है।

Scroll to Top