In lieu of British PM on Taliban, said - If need be, will work with Taliban too

तालिबान पर ब्रिटिश PM के बदले सुर, बोले-जरूरत पड़ी तो तालिबान संग भी काम करेंगे

ब्रिटेन : अफगानिस्तान में तालिबान की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है. उस देश के बदलते समीकरण पूरी दुनिया की रानजीति पर गहरा असर छोड़ रहे हैं. सवाल उठ रह रहा है कि कौन-कौन से देश तालिबानी सरकार को मान्यता देंगे? अब इस सवाल के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जरूरत पड़ने पर तालिबान संग भी काम किया जाएगा.

बोरिस जॉनसन ने कहा कि अफगानिस्तान में कोई स्थाई समाधान निकले, इसके लिए हर स्तर पर हमारी कोशिश जारी रहेगी. जरूरत पड़ी तो तालिबान संग भी काम किया जाएगा. अफगानिस्तान मजबूत बने ये हमारी प्रतिबद्धता है. अब ब्रिटेन प्रधानमंत्री का ये बयान कई मायनों में उनके देश के स्टैंड को स्पष्ट कर रहा है. अगर इसी बयान को आधार माना जाए तो आने वाले दिनों में ब्रिटेन समझौता कर सकता है. वो तालिबानी सरकार को भी मान्यता दे सकता है. लेकिन अभी के लिए ये सिर्फ एक बयान है जिस पर दुनिया में अटकलों का दौर शुरू हो गया है.

वैसे अफगानिस्तान की स्थिति पर बोरिस जॉनसन द्वारा ये सक्रियता इसलिए दिखाई जा रही है क्योंकि खाड़ी मुल्क में उनके देश के भी कई लोग फंसे हुए हैं. ब्रिटेन भी कई दिनों से बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है. इस बारे में पीएम ने कहा है कि अब एयरपोर्ट पर स्थिति सुधर रही है. कल तो हम हजार लोगों को बाहर निकाल पाए थे. कई लोगों का हम ARAP के तहत भी रेस्क्यू कर रहे हैं. कई ऐसे अधिकारी भी मौजूद हैं जिन्होंने ब्रिटेन के लिए काफी कुछ किया है, ऐसे में उनकी मदद करना हमारा दायित्व है. आने वाले दिनों में हम और तेजी से काम करने वाले हैं.

जॉनसन ने जोर इस बात पर भी दिया है अफगानिस्तान में जारी रेस्क्यू में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वे मानते हैं कि उनकी टीम लगातार काम कर रही है और इस मुश्किल स्थिति में अपनी काबिलियत को बखूबी साबित कर रही है. वैसे अभी ब्रिटेन के अलावा भारत, अमेरिका द्वारा भी बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. अमेरिका के फाइटर जेट लगातार काबुल एयरपोर्ट पर दिखाई दे रहे हैं. वहां की आर्मी बता रही है कि 7000 से ज्यादा लोगों का सफल रेस्क्यू किया जा चुका है. भारत भी अपने निवासियों को सुरक्षित वापस लाने की तमाम कोशिशें कर रहा है. अफगानी हिंदू और सिख समुदाय को भी शरण देने पर सहमति बन रही है.

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