Hearing in the Supreme Court today on the application to remove the farmers from the Delhi border; The movement also supported the Khap Panchayats of UP

दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; आंदोलन को यूपी की खाप पंचायतों का भी समर्थन

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है। मगर कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है। न सरकार कानून वापस लेने का संकेत दे रही है न किसान धरना छोड़ने को तैयार हैं। इस बीच, किसानों को दिल्ली के बॉर्डर से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। कोर्ट तय करेगा कि बॉर्डर पर किसान टिकेंगे या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा। यह अर्जी लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने लगाई थी। उनका कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है। यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी।

इधर, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कई खाप पंचायतों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। ये खापें 17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होंगी। किसान संगठनों ने कहा है कि वे आज दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह से ब्लॉक करेंगे।

मोदी ने कहा- किसानों की हर आशंका दूर करेगी सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात दौरे परकहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की साजिश कर रहा है। उन्हें डराया जा रहा है कि किसानों की जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे। यदि कोई डेयरी वाला दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है तो क्या वह पशु को भी ले जाता है? उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार हर शंका के समाधान को तैयार है। मोदी ने गुजरात में सिख संगठनों से भी मुलाकात की।

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