ग्वालियर: मध्यप्रदेश में प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने का सिलसिला जारी है। इसी बीच आय से अधिक संपत्ति के मामले में ग्वालियर के एक पंचायत सचिव पर लोकायुक्त पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पंचायत सचिव के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने सचिव के घर छापेमारी की है। लोकायुक्त की दो टीमें सुबह 5:00 बजे सचिव के गांव पहुंची थी। जहां सचिव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल मामला ग्वालियर के भीतरवार जनपद पंचायत का है। जहां सरपंच कमल सिंह जाटव ने पंचायत सचिव शैलेंद्र सिंह जाट के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज की गई थी। इसी मामले को आधार बनाकर शुक्रवार को उनके खिलाफ सर्च वारंट जारी किया गया। इसके बाद सुबह 5:00 बजे लोकायुक्त डीएसपी प्रदुमन पाराशर, निरीक्षण कविंद्र चौहान एवं उप निरीक्षक सुरेश कुशवाहा के साथ दो अलग टीम लेकर मस्तूरा सचिव शैलेंद्र जाट के घर पहुंचे। लोकायुक्त पुलिस के छापेमार करवाई में पंचायत सचिव के घर से संबंधित दस्तावेज खंगाले गए।
इस दौरान अधिकारियों को मकान, प्लॉट के कागजात के साथ ही सोने चांदी के आभूषण भी मिले हैं। पंचायत सचिव के भाई नृपेंद्र के नाम से एक अल्टो कार (Alto Car) के दस्तावेज, 7 लाख से अधिक की कीमत की 180 ग्राम सोना(Gold), 390 ग्राम चांदी और नगदी भी बरामद की गई है। लोकायुक्त ने पूरी संपत्ति का मूल्य 70 लाख रुपए लगाया है। जबकि बाजार मूल्य 1 करोड़ से अधिक रुपए आंकी गई है।
बता दें कि पंचायत सचिव ने साल 2008 में नौकरी शुरू की थी। तब उनका मासिक वेतन 12000 रुपए था। इस मुताबिक 11 साल की नौकरी में सचिव को 13 लाख रुपए की आय हुई है। वह छापेमारी में पंचायत सचिव के घर से 1 करोड़ 25 लाख रुपए की संपत्ति बरामद हुई है। इस मामले में लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है। जांच के उपरांत कुल संपत्ति का खुलासा किया जाएगा और इसके बाद जो साक्ष्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब हो कि इससे पहले सरपंच कमल सिंह जाटव ने 11 जुलाई 2019 को पंचायत सचिव शैलेंद्र सिंह जाट के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। जिसके बाद लोकायुक्त टीम ने 31 अक्टूबर 19 की स्थिति में पंचायत सचिव काकुल व्यक्ति 40 लाख रुपए पाया था। जबकि उनके कुल वैद्य आए 27 लाख रुपए पाई गई थी। जिसके बाद लोकायुक्त ने पंचायत सचिव पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।