भोपाल। शादियों का सीजन है। कोरोना काल ने शादियों के माहौल का पूरी तरह से बदल दिया है। पहले जहां शादियों में सैकड़ों हजारों लोग आते थे, खाने के काउंटर पर नाते-रिश्तेदारों का हुजूम उमड़ता था वहीं अब कोरोना के चलते इस पर लगाम लग गई है। गाइडलाइन के मुताबिक अब केवल 200 लोग ही शादी समारोह में शिरकत कर सकते हैं। शादी वाले सभी परिवारों को यह संख्या कम ही लग रही है। इसी बीच राजधानी में एक ऐसी शादी भी हुई जिसमें सिर्फ 25 मेहमान ही शामिल हुए। यह शादी थी आईएफएस एसएस राजपूत की बेटी अंशिका की। इस शादी में शामिल हुए सभी 25 मेहमानों का पहले कोरोना टेस्ट किया गया, जब रिपोर्ट निगेटिव आई तभी घर पर बुलाया गया।
गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग हुई
समारोह के एंट्री गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग हुई और फूल से स्वागत की जगह सैनिटाइजर की छोटी सी बोतल थमाई गई। दूल्हे का मंडप गैराज एरिया में सजाया गया तो दुल्हन का आंगन में। टेंट हाउस से डेकोरेशन का बेसिक सामान मंगाया, लेकिन ज्यादातर डेकोरेटिव आइटम्स झूमर, कलश आदि घर पर दुल्हन की मां के हाथों बने हुए सजाए गए। शादी में अमूमन तीन ही मुख्य काम होते हैं, घर का डेकोरेशन, रसोई और बाकी रस्में समय पर हों, इसका मैनेजमेंट। तो लड़के और लड़की वाले के परिवारों के 12 कपल यहां मौजूद थे, जिसमें यंगस्टर्स ने डेकोरेशन का काम संभाला, रीति-रिवाजों की गहराई से समझ रखने वाले सीनियर मेम्बर्स ने सारा सामान जुटाने की व्यवस्था की और खाना बनाने में एक्सपर्ट दुल्हन की बुआ, चाची और मामी ने किचन संभाला। सिर्फ 2 सब्जियां, दाल, पूरी, रोटी और घर पर आसानी से तैयार हो जाने वाले स्वीट्स हलवा-खीर के साथ पूरी शादी का समारोह पूरा हुआ।
विदाई के बाद दुल्हन फिर घर वापिस आ गई, लेकिन इस बार रस्मों की बारी लड़के वालों की थी। अंगूठी ढूंढना से लेकर कई खेल उसी आंगन में खेले गए, जहां से थोड़ी देर पहले यही दुल्हन विदा हुई थी।
एसएस राजपूत कहते हैं, क्लोज गेस्ट के साथ पूरा फंक्शन इतनी अच्छी तरह हुआ कि कहीं कमी महसूस नहीं हुई कि हमें यह सब होटल से करना चाहिए। पहले हमने एक होटल बुक किया गया था, लेकिन कोरोना के हालात देखते हुए बाद में सारा परिवार घर पर ही शादी करने को राजी था। बहुत लंबे समय बाद पुराने समय की तरह घर पर शादी का फंक्शन था, तो सभी ने खूब एंजॉय किया। बाकी सभी मेहमानों के लिए यह पूरी शादी ऑनलाइन टेलीकास्ट हुई, तो एक तरफ जहां रस्में चल रही थीं, दूसरी तरफ वीडियो और साउंड मिक्सिंग की टीम इसे डिजिटली लोगों तक पहुंचाने में जुटी थी। हल्दी-मेहंदी से लेकर बारात, डांस और फेरों तक हर समारोह में सभी ने मास्क लगाए रखा। रस्मों के बीच में भी सैनिटाइजेशन का दौर चलता।