दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। मान्यता है की इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोबर्धन पर्वत को छोटी उंगली पर उठाया था। श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन को उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। इस दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है इसीलिए इस पूजा का नाम अन्नकूट भी है।
विधि-
आज के दिन गोवर्धन पूजा करने के लिए घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाया जाता है। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा की जाए तो सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।
शुभ मुहूर्त-
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 15 नवंबर 2020 को सुबह 10 बजकर 36 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 16 नवंबर 2020 को सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक
गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त- 15 नवंबर 2020 को दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 05 बजकर 27 मिनट तक