4 जुलाई, 2025 को रात लगभग 11:40 बजे पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में व्यवसायी गोपाल खेमका की अपार्टमेंट गेट के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनका परिवार जमीन विवाद में पहले से उलझा हुआ था—2018 में उनके बेटे गुंजन की भी दिनदहाड़े हत्या हुई थी। उस समय गिरफ्तार चार आरोपियों को बाद में बेल मिली थी। इस कारण यह घटना भी इसी पुरानी जमीनी लड़ाई से संबद्ध बताई जा रही है
📌 वारदात का त्वरित विवरण
- घटना की समयसीमा: रात 11:40 बजे के आसपास
- हथियारबंद तीनों/चार शूटरों ने 5 सेकेंड में ही खेमका के सिर पर गोली मार दी।
- सीसीटीवी फुटेज में वारदात स्पष्ट रूप से कैद है; अपराधी घटनास्थल से स्कूटी पर फरार हो गए
🔎 बेउर जेल में छापेमारी और मोबाइल सिम बरामदगी
जांच के मोर्चे पर बड़ा खुलासा तब हुआ जब पटना पुलिस ने बेउर जेल में रेड की।
- 14 थानों की संयुक्त टीम, जिसमें IG जितेंद्र राणा और SSP कार्तिकेय शर्मा की निगरानी में सिटी SP, DSP, SDPO सहित दर्जन भर थाना प्रभारी शामिल थे, ने लगभग डेढ़ घंटे तक जेल की तलाशी ली
- तलाशी के दौरान 100 से अधिक कैदियों से पूछताछ की गई
- तत्काल तीन मोबाइल फोन, दो गोलियां और एक खोखा (कारतूस का सूखा हिस्सा) बरामद हुए
- साथ ही सिम कार्ड, डेटा केबल, और कागज पर लिखे मोबाइल नंबर भी मिले, जिनसे जेल वाले कनेक्शन की आशंका जताई जा रही है
- IG नीरज कुमार झा ने इसकी पुष्टि की और खबर दी कि इन सबका डेटाबेस और फोरेंसिक समीक्षा की जाएगी, इसके तहत प्राथमिकी भी दर्ज होगी
🧳 गैंगस्टर कनेक्शन
- पुलिस को शुरुआती संकेत मिले हैं कि यह हत्या एक सुपारी हत्या हो सकती है, जिसके तार बेउर जेल से जुड़े गैंगस्टर अजय वर्मा तक जाते हैं
- अजय वर्मा से जेल में पूछताछ की गई है। कुख्यात गैंगस्टर की भूमिका और उसके गिरोह की संलिप्तता की छानबीन की जा रही है ।
- यह घटना सीधे जमीन विवाद से जुड़ी हुई भी प्रतीत हो रही है, जो पहले गुंजन हत्याकांड का मुख्य कारण रहा था
👮♀️ पुलिस की रणनीति और डीजीपी के निर्देश
- बिहार पुलिस ने 35 सदस्यीय SIT गठित किया, जिसके नेतृत्व में पटना पुलिस, STF और अन्य फोर्सेज शामिल हैं
- डीजीपी विनय कुमार ने निर्देश दिए हैं कि जमीन विवाद, गैंगस्टर कनेक्शन, और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) सहित हर पहलू को जांचा जाए
- सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण और मोबाइल डेटा डंप के आधार पर आरोपी हत्यारों की पहचान व गिरफ्तारी होनी है
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सख्त कार्रवाई की बात कही और निर्देश दिए कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा; साथ ही जेल सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा का आदेश भी दिया
- डिप्टी CM सम्राट चौधरी ने स्पष्ट संदेश दिया: “पुलिस घर में घुसकर भी मारेगी
📝 गुंजन खेमका हत्याकांड से तुलना
- 20 दिसंबर 2018 को हाजीपुर में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन की दिनदहाड़े हत्या हुई थी। चार लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन बाद में बेल मिल गई
- मौजूदा केस में भी उसी जमीन विवाद वाली जटिलता की पुष्टि हो रही है, इसलिए पुलिस पुराने मामले और वर्तमान घटना के बीच संबंध तलाश रही है ।
🔬 आगे की जांच प्रक्रिया
- फोरेंसिक जाँच: जेल से मिले डिजिटल व फिजिकल सबूतों (मोबाइल, सिम, गोली) का डीएनए, कॉल डिटेल और लोकेशन लॉग के साथ मिलान।
- शूटरों की पहचान: सीसीटीवी विश्लेषण, इलाके में लगे कैमरों की फुटेज और जाते समय शूटरों द्वारा छोड़ी स्कूटी ट्रैकिंग।
- जेल-आउट कनेक्शन: अजय वर्मा और अन्य आरोपी कैदियों के संवादों व संपर्कों का विश्लेषण।
- गवाहों की विस्तृत पूछताछ: घटनास्थल के आसपास के लोगों, सिस्टम व पुलिस के गवाहों से जानकारी प्राप्त करना।
- गैरकानूनी मदद पर कार्रवाई: जेल स्टाफ, अभिभावक या बाहरी कनेक्शन पर आरोप सिद्ध होने पर कड़ी सजा।
🔔 राजनीतिक व सामाजिक प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री, पुलिस मुखिया व विपक्षी नेताओं ने हादसे की निंदा की और सख्त कार्रवाई का समर्थन जताया ।
- परिवार से मिलने विधायक व नेता भी पहुंचे; परिजनों में दुख-क्रोध स्पष्ट था ।
- यह मामला चुनावी माहौल में कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में हैं और जेल सिस्टम की सुरक्षा की छवि भी प्रभावित हुई है ।
🏛️ संभावित परिणाम
- स्पीडी ट्रायल की तैयारी चल रही है, DGP ने साफ संकेत दिए हैं
- सजायाफ्ता कार्रवाई: यदि सुपारी-हत्या सिद्ध हो जाती है तो दोषियों को फांसी या उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
- जेल सुधार पहल: मोबाइल प्रतिबंध, सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी मजबूत होगी—इस घटना से आलोचना की चपेट में जेल व्यवस्था है।
गोपाल खेमका की हत्या केवल एक व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध की परतों वाला मामला है—जिसमें जमीन विवाद, जेल के अंदर सक्रिय गिरोह और सुपारी हत्याकांड सभी एक दूसरे से जुड़े दिखाई देते हैं। बेउर जेल से मिली मोबाइल व सिम की बरामदगी ने जांच को नई दिशा दी है, जिससे साबित हो सकता है कि अपराधी कैद से बाहर योजनाएँ बना सकते थे।
पुलिस की अब मुख्य जिम्मेदारी है – डिजिटल और फिजिकल सबूतों का विश्लेषण, हत्या में शामिल चारों शूटरों की पहचान, और सुपारी देने वाले व ग्राहकों तक पहुंचना। यदि सभी सुराग सही दिशा में जाते हैं, तो यह घटना बिहार के न्याय व्यवस्था व जेल सुधार में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।
देश एंव राज्य की निगाह बनी हुई है—क्या पटना पुलिस, SIT व फोरेंसिक टीम समय रहते हादसे के सूत्र पकड़ पाएंगे? स्पीडी ट्रायल व कड़ी सजा के जरिए क्या यह एक मिसाल बन पाएगा? आने वाले दिनों में पूरे तथ्य सामने आएंगे और सबका रहस्य खुल जाएगा।