वाशिंगटन। अमेरिका की विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐसा इलेक्ट्रिक इम्प्लांट डेवलप किया है जो टूटी हड्डी को जोड़ने के बाद शरीर में ही घुल जाएगा। स्टिकिंग प्लास्टर जैसी दिखने वाली डिवाइस को उस स्थान पर रखना होगा जहां की हड्डी में फ्रैक्चर है। इसके बाद इस डिवाइस से हल्केह ल्के बिजली के झटके निकलेंगे जिससे हड्डियों के जुड़ने की गति तेज हो जाएगी। पशुओं में इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है।
बॉयोडिग्रेडेबल मैन मेड मटेरियल से बना है इम्प्लां
टजब 1 सेमी लंबे इस इम्प्लांट का प्रयोग पशुओं में पिंडली की हड्डी जोड़ने किया गया तो महज 6 हμतों में ही राहत मिल गई, जबकि आमतौर पर 10 सप्ताह का समय लगता है। इसके 18 सप्ताह बाद इम्प्लांट का कोई निशान नहीं बचा था। यह इम्प्लांट बॉयोडिग्रेडेबल मैन मेड मटेरियल से बना है जिसे पॉली-को- ग्लायकोलिक एसिड या पीएलजीए कहते हैं। उम्मीद है कि इंसानों के लिए यह डिवाइस 3 से 5 वर्षों में उपलब्ध होगी। जर्नल प्रोसिडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेस में यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
यूं जुड़ती हैं टूटी हुई हड्डियां
नेशनल हेल्थ सर्विस हर साल फ्रैक्चर के हजारों मामलों का उपचार करती है। यदि फ्रैक्चर छोटा हो तथा इससे आसपास की अन्य हड्डियां क्षतिग्रस्त नहीं हुई हों तो उक्त हिस्से को अपने आप ठीक होने के लिए छोड़ा जा सकता है। ऐसी दशा में शरीर का तंत्र प्रभावित स्थान की सुरक्षा के लिए उसके आसपास खून का थक्का बना देता है तथा अगले कुछ हतों में ये थक्के आंशिक-कड़ी संरचना में तब्दील हो जाते हैं जिन्हें कैलस कहते हैं। यह कैलस हड्डियां बनाने वाली कोशिकाओं को प्रोटेक्ट करता है ।
बिजली के झटके से तेज हो जाती है हीलिंग की प्रक्रिया
डॉक्टर जानते हैं कि टूटी हुई हड्डियों को बिजली के हल्के झटके देने से जुड़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। आमतौर पर यह चिकित्सा एक छोटे पॉवर यूनिट से जुड़े इलेक्ट्रोड के जरिए मरीज की त्वचा में की जाती है। त्वचा से गुजरते हुए इलेक्ट्रिक पल्स फ्रैक्चर वाले स्थान पर पहुंच कर हीलिंग की प्रक्रिया को तेज करते हैं। इसमें लगाया गया इम्प्लांट चलने, खड़े रहने, झुकने, सिर या हाथ हिलाने जैसी शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से खुद ही बिजली पैदा कर लेता है।