Draft law prepared to stop love jihad in Madhya Pradesh family court empowered to cancel marriage

मध्यप्रदेश में लव जिहाद रोकने के लिए कानून का ड्राफ्ट तैयार, शादी रद्द करने का अधिकार फैमली कोर्ट को

भोपाल। मध्यप्रदेश में लव जिहाद रोकने के लिए राज्य सरकार के एक्ट, ‘मध्यप्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट-2020’ का ड्राफ्ट लगभग तैयार हो चुका है। इस कानून के तहत लव जिहाद का ताजा मामला पकड़े जाने पर पांच साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा ऐसे विवाह जो पहले हो चुके हैं, उन्हें रद्द करने का अधिकार फैमिली कोर्ट को दिया जाएगा। मध्यप्रदेश दूसरा ऐसा राज्य होगा जिसका लव जिहाद रोकने का अपना एक्ट होगा। इससे पहले उत्तराखंड यह एक्ट बना चुका है वहीं उत्तर प्रदेश में भी इसकी प्रक्रिया चल रही है।

प्रदेश के इस नए एक्ट में फैमिली कोर्ट का प्रावधान रखा जा रहा है। वर्ष 1968 में बने पुराने अधिनियमों को समाप्त किया जाएगा, लेकिन इसमें किसी सगे संबंधी को यह पहले शिकायत करनी होगी कि यह प्रकरण और विवाह लव जिहाद मामले से जुड़ा हुआ है। इसके बाद कोर्ट अंतिम निर्णय करेगा। फैमिली कोर्ट के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी जा सकेगी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर विधि विभाग को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद सीनियर सेक्रेटरी की कमेटी इस पर चर्चा करेगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। एक्ट में प्रलोभन, बलपूर्वक, धोखाधड़ी, बहकावे के जरिए शादी करने का भी उल्लेख होगा।

अफसर दोषी मिले तो उन्हें भी होगी 5 साल की सजा
इस एक्ट में युवक-युवती पर ही अपनी सच्चाई साबित करने का भार होगा कि वे जोर जबरदस्ती से ऐसा नहीं कर रहे हैं और न ही यह लव जिहाद है।

अफसर अपने पद का इस्तेमाल करके अगर ऐसी शादी कराता है, तो उसे भी पांच साल की सजा होगी। मसलन एसडीओ, थानाधिकारी या अन्य।

यदि लव जिहाद साबित हो गया और प्रोसिक्यूशन करना है तो ऐसे केसों के बारे में फैसला गृह विभाग करेगा। अभी आईटी एक्ट या धारा 153 (ए) में यही प्रावधान है, जो सांप्रदायिक विवाद से जुड़े हैं।
माता-पिता, भाई-बहन या रक्त संबंधी की शिकायत पर लव जिहाद से हुए विवाहों के मामले में फैमिली कोर्ट को शादी को निरस्त करने का अधिकार होगा।

यदि कोई मामला धर्म परिवर्तन से जुड़ा है तो परिवार को एक माह पहले आवेदन देना ही होगा। यदि इस काम में कोई पुजारी, मौलाना या पादरी जुड़ा है तो उसे भी एक माह पहले जिला प्रशासन को नोटिस देना होगा। अन्यथा पांच साल की सजा होगी।

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि यदि इस काम में कोई पुजारी, मौलाना या पादरी जुड़ा है तो उसे भी एक माह पहले जिला प्रशासन को नोटिस देना होगा। अन्यथा पांच साल की सजा होगी। यदि लव-जिहाद का मामला सामने आता है और यह साबित हो जाए कि कोई मददगार या किसी ने उकसाया है तो वह भी उतना ही दोषी माना जाएगा, जितना मुख्य आरोपी। इसकी सजा भी पांच साल तक है। मप्र का यह एक्ट कठोर और ठोस होगा। उत्तराखंड समेत अन्य सभी कानूनी प्रावधानों का अध्ययन हो रहा है। यह एक्ट समग्रता लिए हुए होगा।

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