भोपाल। पिछले काफी दिनों से कोरोना संक्रमण का काबू पाने के बाद एक बार फिर यह बेकाबू होता नजर आ रहा है। मध्यप्रदेश में जितने पॉजिटिव मरीज मिल रहे थे, उससे कहीं ज्यादा इस वायरस से जंग जीतकर स्वस्थ हो रहे थे, लेकिन शनिवार को अचानक 42 दिनों बाद डिस्चार्ज होने वाले मरीजों से ज्यादा पॉजिटिव केसेस सामने आ गए हैं। 27 सितम्बर को 2310 मरीज पॉजिटिव मिले थे तब डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या 2081 थी, उसके बाद से हर रोज पॉजिटिव केस कम और डिस्चार्ज होने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी। वहीं, शनिवार को 865 पॉजिटिव मरीज मिले हैं और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 792 मिली है। विशेषज्ञ अनुमान जता रहे हैं कि यह स्थिति अगर कंट्रोल में नहीं हुई तो मध्यप्रदेश में एक्टिव केसेस की संख्या बढ़ जाएगी और प्रदेश का रिकवरी रेट भी गड़बड़ा सकता है।
60 केसेस का आया अंतर
डिस्चार्ज मरीजों से ज्यादा पॉजिटिव केस मिलने से एक्टिव केस की संख्या में 60 केसेस का अंतर आया है। जबकि 42 दिन पहले 203 केसेस में अंतर था। 6 सितम्बर को सबसे ज्यादा 846 केसेस का अंतर एक्टिव मामलों में दर्ज किया गया था, जो कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा था।
कटनी 98.14%के साथ बेहतर रिकवरी में टॉप पर
पॉजिटिव केस के बढ़ने से प्रदेश का रिकवरी रेट 93.91 फीसदी है। वहीं, जिलों में कटनी 98.14 फीसदी के साथ सबसे टॉप पर है। वहीं, नरसिंहपुर, अलीराजपुर, बड़वानी, पन्ना, सिवनी, बालाघाट जिलों में 97 फीसदी से ज्यादा रिकवरी रेट दर्ज किया गया है। 6 जिलों में 96 फीसदी से ज्यादा रिकवरी रेट है। चार महानगरों में ग्वालियर का 95.40, जबलपुर में 94.24, इंदौर में 92.99 और भोपाल में 92.11 फीसदी रिकवरी दर पहुंच चुकी है। रिकवरी के मामले में इंदौर ने बेहतर काम करते हुए राजधानी भोपाल से काफी आगे पहुंच गया है।