Bholaa Movie Review: Ajay Devgan and Tabu's superb action 'Bhola's life, many twists in the Hindi remake of 'Kaithi'

Bholaa Movie Review: अजय देवगन और तब्बू का शानदार एक्शन ‘भोला’ की जान, ‘कैथी’ के हिंदी रीमेक में कई ट्विस्ट

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Bholaa Movie Review: अजय देवगन अभिनीत फिल्‍म ‘दृश्‍यम’ भी इसी नाम से बनी मलयालम फिल्‍म की रीमेक थी। पिछले साल इस फिल्‍म का सीक्‍वल बॉक्‍स आफिस पर सफल रहा था। अब सिनेमाघरों में रिलीज तमिल फिल्‍म ‘कैथी’ की हिंदी रीमेक भोला के निर्माता और निर्देशक अजय देवगन हैं।

वह फिल्‍म के नायक भी हैं। रीमेक फिल्‍मों में निर्देशक की मौलिकता इतनी रहती है कि वह मूल के करीब रहे और उसकी लोकप्रियता को भुना सके। ‘भोला’ में कहानी की पृष्‍ठभूमि बदलने के साथ उन्‍होंने आमूल-चूल बदलाव किए हैं। मसलन एसपी पुलिस अधिकारी को पुरुष की जगह महिला बना दिया गया है। यहां पर उस किरदार को तब्‍बू ने निभाया है। उसके अलावा अमला पॉल का किरदार जोड़ा गया है।

क्या है ‘भोला’ की कहानी?
कहानी का आरंभ इस दृश्य से होता है कि कोकीन से लदे ट्रक को पकड़ने के लिए एसपी डायना (तब्‍बू) अपने साथियों के साथ उसका पीछा कर रही है। ट्रक को पकड़ने में सफल रहते हैं। इस को‍कीन की कीमत एक हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा है। इस आपरेशन के दौरान डायना के कंधे में गोली भी लग जाती है।

कोकीन के जखीरे के साथ वह सात लोगों को गिरफ्तार करती है। इस मिशन को डायना समेत पांच पुलिसकर्मी अंजाम देते हैं। डायना कोकीन को लालगंज थाने में बने बंकर में छुपाती है। अंग्रेजों के जमाने में बनायी गयी यह जेल काफी मजबूत पत्‍थर की इमारत है। अंग्रेजों ने अपनी सुरक्षा के लिए उसमें नीचे बंकर बनाया होता है।

उस बिल्डिंग में सेंध लगाना असंभव है। उसके खुफिया रास्‍ते की किसी को जानकारी नहीं है। डायना का बॉस (किरण कुमार) उससे कहता है कि जब तक अदालत माल की कस्टडी नहीं लेती, उसकी जानकारी गुप्‍त रहनी चाहिए। उसके बाद बॉस की पार्टी के दौरान ही एक पुलिसकर्मी शराब में नशे की गोली मिला देता है, जिससे वहां मौजूद सारे पुलिसकर्मी बेहोश हो जाते हैं।

डायना उसका सेवन नहीं करती, इसलिए बच जाती है। नाटकीय घटनाक्रम में वह भोला (अजय देवगन) की मदद से सभी पुलिसकर्मियों को ट्रक में अस्‍पताल ले जाने के लिए निकलती है। अपने साथ वह कैटरिंग का काम करने वाले करछी (अमीर खान) को भी ले आती है। भोला की जिंदगी की परतें खुलती हैं।

जेल में दस साल की सजा काटकर भोला अनाथालय में पल रही अपनी बेटी से मिलने लखनऊ जा रहा है। उधर खतरे को भांप कर थाने में मौजूद पुलिसकर्मी भाग खड़े होते हैं। उसी दौरान ट्रांसफर होकर आया कांस्‍टेबल अंगद यादव (संजय मिश्रा) वहां होता है। उसके साथ वहां पर पहले से मौजूद एक लड़की समेत चार छात्र होते हैं। डायना की लोकेशन ट्रक में मौजूद पुलिसकर्मी दीप सिंह (लोकेश मित्‍तल) ही ड्रग माफिया को दे रहा है।

कोकीन की तस्‍करी के पीछे निठारी (विनीत सिंह) का हाथ है, जिसे किसी ने देखा नहीं है। उसका भाई अंशु (दीपक डोबरियाल) डायना को पकड़ने के लिए दस करोड़ रुपये का एलान करता है। इनाम के लालच में कई गैंग उसे पकड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। लालगंज तक पहुंचने में डायना और भोला को किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? क्‍या माफिया कोकीन के जखीरे को हासिल कर पाएंगे? कहानी इस संबंध में है।

कैसा है ‘भोला’ का स्क्रीनप्ले और एक्शन?
कहानी एक रात की है। उसमें एक्‍शन की भरमार है। वीएफएक्‍स का भी काफी इस्‍तेमाल हुआ है। इंटरवल के पहले भोला, डायना, करछी और माफिया गैंग के साथ आपसी मुठभेड़ को लेकर हैरतअंगेज एक्‍शन सीन हैं। मूल फिल्‍म की तरह एक्‍शन सीन की परिस्थितियां एकसमान रखी गई हैं, लेकिन दृश्‍यों को दिखाने में बदलाव किया गया है।

एक्‍शन डायरेक्‍टर रमजान बुलुट, आर पी यादव द्वारा कोरियोग्राफ माफिया गुटों और भोला के बीच भिडंत, थाने में मौजूद एकमात्र पुलिसकर्मी और छात्रों का अंशु से लोहा लेने के दृश्‍य रोंगटे खड़े करते हैं। एक्‍शन के संदर्भ में अजय देवगन और तब्‍बू की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अपनी भूमिकाओं के लिए जरूरी मेहनत की है।

घायल होने के बावजूद डायना को माफिया को टक्‍कर देते देखकर उत्तेजना होती है। यहां पर अजय की बैकस्‍टोरी को मूल कहानी से बदला गया है। ऐसे में कई सवाल अनुत्‍तरित रह जाते हैं। मसलन उसकी पत्‍नी कब कैसे छोड़ कर गई, जबकि मूल फिल्‍म में यह सब स्‍पष्‍ट है?

कोकीन की इतनी बड़ी तस्‍करी से क्‍या नुकसान हो सकता है, इस पर फिल्‍म कहीं भी बात नहीं करती। भोला को शिव का भक्‍त बताया गया है, लेकिन कहानी में उसे स्‍थापित करने की कोशिश नहीं हुई है।

अजय देवगन एक्शन दृश्यों में जमे हैं। यह उनकी विशेषता भी है। इस फिल्म में उन्हें तड़पते पिता के तौर पर भी दिखाया गया है। उन्होंने किरदार की पीड़ा को समझा और अपने अभिनय में उतारा है। हालांकि, बेटी के भविष्‍य को लेकर उसकी चिंता को कहानी में बहुत सीमित कर दिया है।

क्‍लाइमैक्‍स में बाप-बेटी के मिलन के दृश्‍य में इमोशन की कमी नजर आती है। एक हाथ में स्लिंग बंधी होने की वज‍ह से कहीं-कहीं एक्‍शन करते हुए तब्‍बू दिल जीत लेती हैं। भावनात्‍मक दृश्‍यों में वह भावुक कर जाती हैं। इसमें डायना के बच्‍चे को कोख में मारने का जिक्र है, जबकि मूल फिल्‍म में पुलिसकर्मी की बेटी है।

कैसी है भोला के कलाकारों की अदाकारी?
अजय की पत्‍नी की भूमिका में अमला पॉल अतिथि भूमिका में हैं। उनमें अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की झलक नजर आती है। वह खूबसूरत दिखी हैं। हालांकि, उनके हिस्‍से में एक भी डायलॉग नहीं आया है। निठारी को बहुत खौफनाक बताया गया है, उसमें विनीत कुमार जंचे हैं। निर्मम और नशेड़ी आशु की भूमिका में दीपक डोबरियाल प्रभावशाली रहे हैं।

यह किरदार की खासियत है, जिसे दीपक ने अपने अंदाज में जीवंत कर दिया है। भ्रष्‍ट अधिकारी की भूमिका में गजराज राव ने अपने किरदार साथ न्‍याय किया है। सिनेमैटोग्राफर असीम बजाज ने हर फ्रेम पर बारीकी से काम किया है। विशेषकर बनारस में आरती का सीन याद रह जाता है।

रवि बसरूर का बैकग्राउंड संगीत कथ्‍य के अनुरूप है। ‘भोला’ का गाना ‘नजर लग जाएगी’ कर्णप्रिय है। अजय पहले ही ‘भोला’ का यूनिवर्स बनाने की बात कह चुके हैं। फिल्‍म के आखिर में उसका स्‍पष्‍ट संकेत है।

कलाकार: अजय देवगन, अमला पाल, विनीत सिंह, दीपक डोबरियाल, अमीर खान, गजराज राव आदि।

निर्देशक: अजय देवगन

अवधि: 144 मिनट

स्‍टार: तीन

 

 

Source : Jagran

 

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