केरल | केरल के तिरुअनंतपुरम की आर्या राजेंद्रन ने देश की सबसे युवा महापौर बनकर इतिहास बना दिया है। केरल निकाय चुनाव में तिरुअनंतपुरम से जीतने वाली सीपीआई(एम) की आर्या राजेंद्रन को पार्टी ने तिरुअनंतपुरम का मेयर चुना है। 21 साल की आर्या पद संभालने के साथ ही देश की सबसे युवा मेयर बन जाएंगी। अभी उनकी बी.एससी की पढ़ाई भी नहीं पूरी हुई है। वे सेकंड ईयर में हैं।
निकाय चुनाव में आर्या सबसे युवा कैंडिडेट भी थीं। उन्होंने यूडीएफ की श्रीकला को 2872 वोटों से हराया। सीपीआई(एम) का कहना है कि हम अपनी लीडरशिप में पढ़ी-लिखी महिलाओं को और ज्यादा भागीदारी देना चाहते हैं। 100 सदस्यों वाली तिरुअनंतपुरम नगर पालिका के चुनाव में सीपीआई (एम) ने 51 सीटें जीतीं है। भाजपा यहां मुख्य विपक्षी दल है। उसके खाते में 35 सीटें गई हैं। कांग्रेस की अगुआई वाली यूडीएफ को इन चुनावों में 10 सीटें मिली हैं। 4 निर्दलीय जीते हैं।
लोगों ने मुझे इसलिए चुना, क्योंकि मैं स्टूडेंट हूं- आर्या
आर्या ने कहा कि यह पार्टी का फैसला है और मैं इसका पालन करूंगी। चुनाव के दौरान लोगों ने मुझे प्राथमिकता दी, क्योंकि मैं एक स्टूडेंट हूं। लोग चाहते हैं कि उनका प्रतिनिधि पढ़ा-लिखा हो। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी और मेयर के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां भी निभाऊंगी। आर्या के पिता इलेक्ट्रिशियन हैं और उनकी मां एलआईसी एजेंट हैं।
कई कैंडिडेट्स में से हुआ सिलेक्शन
निकाय चुनाव में सीपीआई(एम) ने हेल्थ स्टैंडिंग कमेटी की पूर्व चेयरमैन पुष्पलता, टीचर्स यूनियन की लीडर एजी ओलेना और जमीला श्रीधरन को मेयर के तौर पर प्रोजेक्ट किया था। पुष्पलता और ओलेना चुनाव नहीं जीत पाईं। जमीला श्रीधरन सरकारी नौकरी से रिटायर हुई हैं। इसके अलावा वंचीयूर डिवीजन से पहली बार पार्षद बने 23 साल के गायत्री बाबू का नाम भी चर्चा में था। इन सबकी जगह पार्टी ने आर्या को मेयर के तौर पर चुना है।
स्वास्थ्य मंत्री केके शैलेजा को मानती हैं अपना आदर्श
आर्या का परिवार तिरुवनंतपुरम के एक छोटे से घर में रहता है और हर महीने 6,000 रुपये का किराया देता है। आर्या ने कहा कि मेरे परिवार वालों ने राजनीति में जाने के फैसले पर कभी आपत्ति नहीं जताई। मैं केरल राज्य के लगभग सभी जिलों में दौरा कर चुकी हूं और केरल के बाहर अभी तक सिर्फ मुंबई का दौरा किया है।
आर्या राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलेजा को अपना आदर्श मानती हैं, उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान शैलेजा ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा मलयालम कवियित्री सुगतकुमारी और लेखक के आर मीरा को भी वो अपना आदर्श मानती हैं।