जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुई एक आतंकी गतिविधि ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। जांच में सामने आया है कि आतंकवादी घने जंगलों से होते हुए लगभग 22 घंटे की लंबी पैदल यात्रा कर पहलगाम पहुंचे थे। वे घातक हथियारों जैसे AK-47 और M4 कार्बाइन राइफल से लैस थे, जिससे उनके इरादों की गंभीरता स्पष्ट हो जाती है।
आतंकियों की घुसपैठ का तरीका
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, यह समूह नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से कुपवाड़ा सेक्टर के जरिए भारतीय सीमा में दाखिल हुआ। जंगलों और कठिन पहाड़ी रास्तों का सहारा लेकर वे सुरक्षा चेक पोस्टों से बचते हुए आगे बढ़े। जांच में यह भी पता चला है कि आतंकियों ने रास्ते में कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का प्रयोग नहीं किया, ताकि उनकी लोकेशन ट्रैक न हो सके।
22 घंटे की पैदल यात्रा: रणनीति या मजबूरी?
आतंकियों ने कुल 22 घंटे जंगलों में चलते हुए पहलगाम का रुख किया, जो यह दर्शाता है कि उनके पास स्थानीय नक्शों और इलाके की गहराई से जानकारी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इतने लंबे समय तक लगातार चलना बिना किसी लोकल सहयोग के संभव नहीं है। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि उन्हें स्थानीय नेटवर्क या स्लीपर सेल्स से मदद मिली होगी।
AK-47 और M4 राइफल से लैस आतंकवादी
पकड़े गए आतंकियों के पास से जो हथियार बरामद हुए हैं, उनमें एक M4 कार्बाइन और दो AK-47 राइफल शामिल हैं। M4 राइफल आमतौर पर पश्चिमी देशों की सेनाओं में उपयोग होती है, जिससे यह साफ है कि इन्हें सीमा पार से ही भेजा गया होगा। साथ ही, भारी मात्रा में गोला-बारूद, ग्रेनेड और GPS डिवाइस भी बरामद किए गए हैं, जिससे यह एक पूर्व-नियोजित आतंकी ऑपरेशन प्रतीत होता है।
सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। ड्रोन और नाइट विजन उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए, पूरे इलाके को घेर लिया गया है ताकि कोई भी आतंकी बचकर न निकल सके।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह ऑपरेशन बड़े आतंकी हमले की तैयारी का हिस्सा हो सकता था जिसे समय रहते नाकाम कर दिया गया।
इस पूरी घटना से यह साफ होता है कि आतंकवादी अब पहले से अधिक संगठित, प्रशिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम हो चुके हैं। पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों को टारगेट करना उनके मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा हो सकता है। यह घटना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलार्म है कि अब जरूरत है स्थानीय नेटवर्क की गहराई से जांच करने की और सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने की।