मुंबई। ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ फिल्म से जुड़े मानहानि केस की कार्यवाही पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह रोक 7 सितंबर 2021 तक लगाई हैं। आलिया भट्ट और संजय लीला भंसाली के खिलाफ इस फिल्म के संबंध में आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसकी कार्यवाही स्थानीय कोर्ट द्वारा की जा रही थी।
शाह नामक शख्स ने दर्ज कराई थी शिकायत
बाबूजी शाह नामक एक व्यक्ति द्वारा मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई गई थी। शाह ने दावा किया था कि वह गंगूबाई काठियावाड़ी का दत्तक पुत्र है, जिस पर आलिया भट्ट और संजय लीला भंसाली की फिल्म आधारित है। गंगूबाई 1960 के दशक में मुंबई के रेडलाइट इलाकों में से एक कमाठीपुरा की एक प्रतिष्ठित महिला थी। यह फिल्म द माफिया क्वींस ऑफ मुंबई उपन्यास पर आधारित है। शाह के मुताबिक, उपन्यास में कही गईं कुछ बातें अपमानजनक हैं, जो गंगूबाई काठियावाड़ी की छवि को धुमिल और उनकी राइट टू प्राइवेसी को खराब करती हैं। उन्होंने इस मामले को लेकर फिल्म के निर्माताओं और किताब के लेखक हुसैन जैदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इतना ही नहीं, शाह का कहना था कि गंगूबाई काठियावाड़ी का नाम फिर से सामने आने के बाद उनके परिवार को लोगों के ताने और उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ रही है।
इस शिकायत के आधार पर ही एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने इस साल मार्च में आलिया भट्ट, संजय लीला भंसाली और उनकी प्रोडक्शन कंपनी भंसाली प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ समन जारी किया था। वहीं इस मामले के खिलाफ आलिया और संजय के वकील द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।
7 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
आलिया भट्ट, संजय लीला भंसाली और उनकी कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने कोर्ट की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि उन्हें शाह के अस्तित्व के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने 10 अगस्त को शाह को नोटिस जारी किया। इसके अलावा आलिया भट्ट और भंसाली द्वारा दायर आवेदन की सुनवाई को 7 सितंबर तक के लिए टाल दिया गया। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाती है।
इसके अलावा हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच ने पहले ही फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। शाह ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसे न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे ने 30 जुलाई 2021 को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था। कोई भी मानहानि पूर्ण सामग्री उसके मौत के साथ ही समाप्त हो जाती है।