Government treasury vacant pension of more than 20 thousand workers stopped

सरकारी खजाना खाली, रुकी 20 हजार से ज्यादा कर्मियों की पेंशन

भोपाल। राज्य सरकार ने 31 मार्च के बाद सेवानिवृत्त हुए अधिकारी-कर्मचारियों की 9 महीने बाद भी पेंशन शुरू नहीं की है। जबकि इनमें से कई कर्मचारी-अधिकारी ऐसे हैं, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। इनमें कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके परिवार में आय का एकमात्र जरिया केवल पेंशन ही है। पेंशनर्स एसोसिएशन का आरोप है कि सरकारी खजाना खाली होने के कारण सरकार के पास पैसा नहीं है, जबकि सरकार ने इस अवधि में 10 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है। वहीं, सरकार का दावा है कि यह स्थिति पेंशन के प्रकरण विभागों में लंबित होने या फिर विभिन्न आपत्तियों के कारण निर्मित हुई है। सरकार के खाली खजाने का असर अधिकारी-कर्मचारियों के पेंशन और ग्रैच्युटी पर अब साफ दिखाई दे रहा है। 31 मार्च के बाद रिटायर्ड होेने वाले 20 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की पेंशन शुरू नहीं हो सकी है। इन्हें ग्रैच्युटी, जो करीब 20 लाख रुपए होती है के अलावा अवकाश नकदीकरण और समूह बीमा की राशि भी नहीं मिली है। साथ ही महंगाई भत्ते के एरियर्स का 25 फीसदी भी नहीं मिला है। पेंशन नहीं मिलने   से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे इन पेंशनर्स के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है।

प्रदेश में हर महीने 2,000 कर्मचारी होते हैं रिटायर

प्रदेश में हर महीने औसतन 2 हजार अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं। उन्हें सेवानिवृत्ति के दिन ही पीपीपी के लिफाफे भी दिए जाते हैं, जिसमें ग्रैच्युटी, नकदी अवकाशकरण और समूह बीमा से संबंधित राशि के चेक और अन्य दस्तावेज होते हैं।

यह है प्रक्रिया

कर्मचारी-अधिकारियों को पेंशन उनके सेवानिवृत्त होने के एक या 2 महीने बाद मिलनी शुरू हो जाती है। सूत्रों का कहना है कि 31 मार्च से लेकर 31 अक्टूबर की अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी- कर्मचारी 9 महीने बाद भी पेंशन से वंचित हैं।

विभाग का तर्क

कोष एवं लेखा संचालनालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि किसी की पेंशन और ग्रैच्युटी नहीं रोकी गई है। जिनके प्रकरण पूरी तरह क्लीयर हो चुके हैं, उनकी पेंशन रोकने का सवाल ही नहीं उठता। केवल उन्हीं प्रकरणों को रोका गया है, जिन पर कोई आपत्ति है, कोर्ट में मामले लंबित हैं, सरकारी आवास खाली नहीं किया है या फिर कोई विभागीय जांच चल रही है।

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