हेलमेट की कीमत पहचानिए: हर दिन हादसों में घायल हो रहे 35 लोग, कुछ जा रहे कोमा में
इंदौर। शहर में दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट नहीं पहनने की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। शासकीय अस्पतालों में हर महीने करीब 700 घायल दोपहिया वाहन चालक इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें से कई को सिर में गंभीर चोट लगती है और करीब 10% मरीज कोमा में चले जाते हैं।
हेलमेट की अनदेखी = जान का जोखिम
विशेषज्ञों के अनुसार, बिना हेलमेट के वाहन चलाने से सिर में चोट का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। एमवाय अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में रोज़ाना 30-35 मरीज सिर की चोट के इलाज के लिए भर्ती होते हैं। इनमें से अधिकांश हादसे दोपहिया वाहनों से जुड़े होते हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि शहर में वाहन धीरे चलते हैं, इसलिए हेलमेट की जरूरत नहीं होती। लेकिन डॉक्टर बताते हैं कि धीमे गति में गिरने पर भी सिर पर गहरा असर हो सकता है, खासकर अगर आसपास पोल या पत्थर हों।
हर साल 3,000 सिर की सर्जरी
एमवाय अस्पताल में हर वर्ष करीब 3000 हेड इंजरी सर्जरी की जाती हैं, जिनमें से 900 से अधिक बड़े ऑपरेशन होते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि हेलमेट नहीं पहनने की लापरवाही से स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है।
इंदौर सड़क हादसों में देश में दूसरे स्थान पर
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर देश में सड़क हादसों के मामलों में दूसरे स्थान पर है। सालभर में यहां 4,680 सड़क हादसे दर्ज हुए। दिल्ली पहले और जालंधर तीसरे स्थान पर हैं।
हेलमेट पहनना = जीवन की सुरक्षा
न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. राकेश गुप्ता कहते हैं, “सिर की गंभीर चोटों के पीछे सबसे बड़ा कारण हेलमेट न पहनना है। अगर समय रहते हेलमेट पहना जाए, तो कई जानें बच सकती हैं।”
प्रशासन सख्त, पर जागरूकता की कमी
प्रशासन ने हेलमेट को अनिवार्य करते हुए बिना हेलमेट पेट्रोल न देने का नियम लागू किया है। फिर भी बड़ी संख्या में लोग नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए सिर्फ सख्ती नहीं, बल्कि जनजागरूकता और जिम्मेदारी जरूरी है।