Jai Shri Jagannath Rath Yatra 2025: A great festival of faith, tradition and devotion

जय श्री जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: श्रद्धा, परंपरा और भक्ति का महान पर्व

पुरी, ओडिशा: भारत की सबसे भव्य और प्रसिद्ध धार्मिक यात्राओं में से एक, जय श्री जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 एक बार फिर भक्तों की आस्था, श्रद्धा और उत्साह का अद्भुत संगम लेकर आई है। यह पावन पर्व जगन्नाथ मंदिर, पुरी से निकलने वाली वह ऐतिहासिक यात्रा है, जिसमें भगवान श्री जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने विशाल रथों में विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हैं।

रथ यात्रा का इतिहास और महत्व

रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होता है और इसका उल्लेख हजारों वर्षों पुराने ग्रंथों में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने धाम से बाहर आते हैं और अपने मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) की ओर प्रस्थान करते हैं।

यह हिंदू धर्म के उन कुछ त्योहारों में से है, जिसमें भगवान को मंदिर से बाहर ले जाकर आम जनमानस के बीच लाया जाता है। यही वजह है कि जय श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत व्यापक है।

रथ यात्रा 2025 की तिथि और विशेषताएं

इस वर्ष रथ यात्रा का आयोजन 29 जून 2025 को किया जा रहा है। पुरी में भगवान के तीन विशाल रथ सजाए जा चुके हैं:

  • भगवान जगन्नाथ का रथ: नंदिघोष (१६ पहिए)
  • बलभद्र जी का रथ: तालध्वज (१४ पहिए)
  • सुभद्रा जी का रथ: दर्पदलन (१२ पहिए)

तीनों रथों का निर्माण पारंपरिक कारीगरों द्वारा खास तरह की लकड़ियों से किया जाता है। ये रथ न केवल धार्मिक प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय शिल्प और स्थापत्य कला का भी जीवंत उदाहरण हैं।

जय श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

पुरी की सड़कों पर इस वर्ष भी करोड़ों श्रद्धालु उमड़े हैं, जो जयकारे लगाते हुए “जय श्री जगन्नाथ” की गूंज से वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने पुरी पहुंचे हैं।

कोविड के बाद पहली पूर्ण सार्वजनिक यात्रा

पिछले वर्षों में कोरोना महामारी के कारण रथ यात्रा पर कई तरह की पाबंदियाँ लगी थीं। लेकिन 2025 की यह रथ यात्रा पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से आयोजित की जा रही है। प्रशासन ने सुरक्षा, चिकित्सा, जल व्यवस्था और ट्रैफिक प्रबंधन के लिए विशेष तैयारियाँ की हैं।

रथ यात्रा की परंपरा और अनुष्ठान

रथ यात्रा की शुरुआत “चेरा पन्हरा” नामक परंपरा से होती है, जिसमें पुरी के गजपति राजा स्वर्ण झाड़ू से रथ की सफाई करते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि भगवान के समक्ष राजा और प्रजा सभी एक समान हैं।

इसके बाद रथ खींचने की परंपरा आरंभ होती है। भक्तजन रस्सियों को पकड़कर बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ रथ खींचते हैं। यह माना जाता है कि जो भी व्यक्ति रथ खींचता है, उसके पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पुरी रथ यात्रा के अलावा देशभर में आयोजन

हालांकि पुरी की रथ यात्रा सबसे प्रसिद्ध है, लेकिन अहमदाबाद, कोलकाता, रांची, नई दिल्ली, मुंबई, और अन्य शहरों में भी रथ यात्रा भव्य रूप से निकाली जाती है। इस्कॉन जैसे संगठन भारत और विदेशों में भी रथ यात्रा का आयोजन करते हैं।

अहमदाबाद की रथ यात्रा को भारत की दूसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा माना जाता है। इसमें भी भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।

डिजिटल रथ यात्रा: ऑनलाइन दर्शन की सुविधा

इस बार भी कई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर रथ यात्रा का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। YouTube, Facebook Live, और सरकारी वेबसाइटों के माध्यम से भक्त घर बैठे भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकते हैं। इससे वृद्ध और असहाय लोगों को विशेष राहत मिली है।

रथ यात्रा और पर्यटन

पुरी की रथ यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह ओडिशा पर्यटन का भी बड़ा हिस्सा है। यात्रा के दौरान पुरी में होटलों, लोकल बाजारों और हस्तशिल्प उद्योग में काफी रौनक देखने को मिलती है। विदेशी सैलानियों के लिए यह भारतीय संस्कृति का अद्भुत परिचय होता है।

रथ यात्रा से जुड़े प्रमुख तथ्य

  • भगवान जगन्नाथ को “विश्व के नाथ” कहा जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत सरल और लोकहितैषी है।
  • रथ यात्रा को “चलंत विग्रह यात्रा” भी कहा जाता है।
  • पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है (अन्य तीन: बद्रीनाथ, द्वारका, और रामेश्वरम)।
  • रथ यात्रा के नौवें दिन “बहुड़ा यात्रा” होती है, जब भगवान अपने धाम वापस लौटते हैं।

प्रशासन की ओर से विशेष इंतज़ाम

ओडिशा सरकार ने रथ यात्रा को सुरक्षित और सुचारु बनाने के लिए कई उपाय किए हैं:

  • 24×7 हेल्पलाइन नंबर
  • मोबाइल मेडिकल यूनिट्स
  • CCTV निगरानी
  • स्वयंसेवकों की नियुक्ति
  • तीर्थ यात्रियों के लिए विश्रामगृह और पेयजल केंद्र

जय श्री जगन्नाथ: संपूर्ण भारत की आस्था का प्रतीक

जय श्री जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि भगवान अपने भक्तों के बीच आकर उनका कल्याण करते हैं।

2025 की जय श्री जगन्नाथ रथ यात्रा ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि समय बदल सकता है, पर परंपराएं नहीं। पुरी की धरती पर जब रथों के पहिए घूमते हैं और भक्तों की आंखों में श्रद्धा के अश्रु होते हैं, तब लगता है मानो धरती पर ही स्वर्ग उतर आया हो।

जय श्री जगन्नाथ!

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