Iran-Israel conflict: Petrol-diesel price hike in Pakistan and impact on common man

ईरान-इजरायल संघर्ष: पाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और आम आदमी पर असर

पाकिस्तान में हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुई अभूतपूर्व बढ़ोतरी ने आम नागरिकों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। पेट्रोल की कीमत में 4.80 रुपये और डीजल की कीमत में 7.95 रुपये की वृद्धि ने न केवल परिवहन लागत को बढ़ाया है, बल्कि खाद्य और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा किया है।

कीमतों में वृद्धि के कारण

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में यह वृद्धि मुख्यतः वैश्विक तेल बाजार में आई अस्थिरता के कारण हुई है। हाल ही में इजरायल द्वारा ईरान पर की गई सैन्य कार्रवाई ने वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तानी रुपये की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट ने आयातित ईंधन की लागत को और बढ़ा दिया है।

सरकार की नीतियाँ और टैक्स संरचना

पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोलियम डेवलपमेंट लीवी (PDL) की अधिकतम सीमा 60 रुपये से बढ़ाकर 70 रुपये प्रति लीटर कर दी है। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल पर लगभग 77 रुपये प्रति लीटर टैक्स और 17 रुपये प्रति लीटर कस्टम ड्यूटी भी लागू है। इससे सरकार को राजस्व संग्रहण में वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन उपभोक्ताओं पर वित्तीय दबाव भी बढ़ा है।

आम नागरिकों पर प्रभाव

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि ने आम नागरिकों की जीवनशैली पर गंभीर असर डाला है। रावलपिंडी के एक रिक्शा चालक ने बताया, “ईंधन की कीमतों में वृद्धि ने हमारे लिए परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल कर दिया है।” इसके अलावा, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हुई है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

उद्योगों और व्यापारियों की चिंताएँ

पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ी हुई कीमतों ने उद्योगों की उत्पादन लागत को बढ़ा दिया है। लघु और मझोले उद्योगों (SMEs) के प्रतिनिधियों ने सरकार से अपील की है कि वे उपयोगिता दरों में कमी करें और ब्याज दरों को कम करें ताकि उद्योगों को राहत मिल सके। हालांकि, सरकार ने अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों और रुपये की गिरावट को जिम्मेदार ठहराया है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

वैश्विक स्तर पर, इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनावों ने तेल आपूर्ति को प्रभावित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष लंबा खिंचता है, तो वैश्विक तेल कीमतों में और वृद्धि हो सकती है, जिसका असर पाकिस्तान जैसे आयातक देशों पर पड़ेगा।

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि ने पाकिस्तान के आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सरकार को चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं को राहत देने के उपायों पर विचार करे। इसके अलावा, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर कदम बढ़ाने से आयात पर निर्भरता कम की जा सकती है।

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