13 जून 2025 को, इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान पर एक बड़ा सैन्य हमला किया, जिसमें प्रमुख परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख होसैन सलामी सहित कई शीर्ष अधिकारी मारे गए। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब ईरान ने इजरायल को हमले की चेतावनी दी थी। फिर भी, ईरान इस हमले को रोकने में क्यों विफल रहा? आइए इस जटिल परिदृश्य को समझते हैं।
1. ईरान की चेतावनी और इजरायल की रणनीति
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरगची ने हाल ही में कई देशों का दौरा किया और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से भी मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इजरायल ने हमला किया, तो ईरान “कठोर प्रतिक्रिया” देगा। हालांकि, इस चेतावनी के बावजूद, इजरायल ने अपनी योजना को लागू किया। इसका कारण इजरायल की “बीगिन डॉक्ट्रिन” है, जिसके तहत वह किसी भी क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं देता। इस नीति के तहत, इजरायल ने पहले भी इराक और सीरिया में परमाणु कार्यक्रमों को निशाना बनाया है। हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान को अपने परमाणु दायित्वों का उल्लंघन करते हुए पाया, जिससे इजरायल को कार्रवाई करने का और कारण मिला।
2. ईरान की घटती क्षेत्रीय शक्ति
ईरान की “रेजिस्टेंस एक्सिस” (प्रतिरोध धुरी), जिसमें हिज़्बुल्लाह, सीरिया, इराक और यमन के हूथी शामिल हैं, वर्षों से ईरान की शक्ति का आधार रही है। लेकिन हाल के वर्षों में, इन समूहों की प्रभावशीलता में कमी आई है। उदाहरण के लिए, हिज़्बुल्लाह के कई शीर्ष नेता इजरायल के हमलों में मारे गए, और सीरिया में असद शासन की स्थिति कमजोर हुई है। इससे ईरान की क्षेत्रीय शक्ति में गिरावट आई है, जिससे इजरायल को आंतरिक हमले करने का अवसर मिला।
3. ईरान की आंतरिक चुनौतियाँ
ईरान की आंतरिक स्थिति भी जटिल है। देश में आर्थिक संकट, सामाजिक असंतोष और राजनीतिक अस्थिरता ने शासन की क्षमता को प्रभावित किया है। इसका परिणाम यह हुआ कि ईरान अपनी सैन्य तैयारियों और प्रतिक्रिया योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू नहीं कर सका।
4. इजरायल की निर्णायक कार्रवाई
इजरायल ने इस हमले में 200 से अधिक लड़ाकू विमानों का उपयोग किया और 100 से अधिक लक्ष्यों को निशाना बनाया, जिनमें परमाणु और मिसाइल उत्पादन सुविधाएँ शामिल थीं। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोकने के लिए आवश्यक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई “नस्लीय विनाश” से बचने के लिए आवश्यक थी।
5. ईरान की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियाँ
ईरान ने इजरायल के हमले के बाद ड्रोन हमलों के माध्यम से जवाबी कार्रवाई की। हालांकि, इन हमलों से इजरायल को गंभीर नुकसान नहीं हुआ। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन प्राप्त करने के प्रयास किए, लेकिन वैश्विक प्रतिक्रिया सीमित रही। भविष्य में, ईरान को अपनी सैन्य रणनीतियों और क्षेत्रीय सहयोगियों की स्थिति पर पुनः विचार करना होगा।
ईरान की चेतावनियों के बावजूद इजरायल का हमला इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शक्ति संतुलन और रणनीतिक निर्णयों का महत्व है। ईरान की घटती क्षेत्रीय शक्ति और आंतरिक चुनौतियाँ उसकी प्रतिक्रिया क्षमता को प्रभावित कर रही हैं। भविष्य में, ईरान को अपनी रणनीतियों में समायोजन और वैश्विक समर्थन प्राप्त करने के लिए नए उपायों पर विचार करना होगा।