रूस ने हाल ही में अपनी नई स्टील्थ फाइटर जेट ‘Su-75 Checkmate’ का अनावरण किया है, जिसे ‘राफेल का बाप’ कहा जा रहा है। यह विमान पांचवीं पीढ़ी का सिंगल-इंजन स्टील्थ फाइटर है, जिसे विशेष रूप से निर्यात बाजार के लिए विकसित किया गया है। रूस ने भारत को इस विमान के विकास में साझेदार बनने का प्रस्ताव भी दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगा?
रूस का Su-75 Checkmate: क्या है खास?
Su-75 Checkmate को रूस की प्रमुख विमान निर्माता कंपनी Sukhoi ने विकसित किया है। यह विमान 1.8 मैक की अधिकतम गति, 2,800 किलोमीटर की रेंज और 7,400 किलोग्राम तक हथियार ले जाने की क्षमता रखता है। इसमें स्टील्थ तकनीक, शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग की क्षमता, और आंतरिक हथियार बे जैसे फीचर्स शामिल हैं। रूस का दावा है कि इस विमान की प्रति यूनिट लागत लगभग 25 से 30 मिलियन डॉलर होगी, जो F-35 जैसे विमानों की तुलना में काफी कम है ।
भारत से साझेदारी की पेशकश
रूस ने भारत को Su-75 Checkmate के विकास में साझेदार बनने का प्रस्ताव दिया है। इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) और भारत में उत्पादन की सुविधा भी शामिल है। रूस ने कहा है कि वह भारत में इस विमान का एक विशेष उत्पादन लाइन स्थापित करने के लिए तैयार है, जिससे यह विमान ‘लगभग भारतीय’ बन जाएगा ।
भारत की प्रतिक्रिया: वित्तीय और रणनीतिक दृष्टिकोण
हालांकि रूस का प्रस्ताव आकर्षक है, लेकिन भारतीय वायुसेना (IAF) ने इसे वित्तीय दृष्टिकोण से अव्यावहारिक बताया है। IAF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि Su-75 Checkmate के विकास में भारी वित्तीय निवेश की आवश्यकता होगी, जो वर्तमान रक्षा बजट में संभव नहीं है ।
इसके अलावा, भारत ने अपनी स्वदेशी ‘Advanced Medium Combat Aircraft’ (AMCA) परियोजना पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जो 2040 तक तैयार होने की संभावना है। इसलिए, Su-75 Checkmate को शामिल करने से भारत की दीर्घकालिक योजना प्रभावित हो सकती है ।
अन्य विकल्प: F-35 और F-21
भारत ने अमेरिकी F-35 विमान की खरीद पर विचार किया है, लेकिन इसकी उच्च लागत और तकनीकी जटिलताओं के कारण विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है । इसके अलावा, रूस ने भारत को अपने Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट के उत्पादन में साझेदारी का प्रस्ताव भी दिया है, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और भारत में उत्पादन शामिल है ।
क्या भारत करेगा रूस के प्रस्ताव को स्वीकार?
भारत की रक्षा नीति में ‘Make in India’ और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी गई है। हालांकि रूस का प्रस्ताव आकर्षक है, लेकिन वित्तीय और रणनीतिक दृष्टिकोण से यह भारत के लिए उपयुक्त नहीं प्रतीत होता। इसलिए, संभावना है कि भारत रूस के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर देगा और अपनी स्वदेशी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।