मध्य प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में हाल ही में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में आमजन, विशेष रूप से स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवा, धार्मिक पर्यटन, शहरी स्वच्छता और पारंपरिक उद्योगों के हित में कई बड़े फैसले लिए गए। इन फैसलों से प्रदेश के विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। इस लेख में हम कैबिनेट के उन 5 बड़े फैसलों की विस्तार से जानकारी दे रहे हैं, जिनका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा।
1. रोड एक्सीडेंट में मदद करने वाले ‘गुड समरिटन’ को मिलेगा 25,000 रुपए का इनाम
डॉ. मोहन यादव की सरकार ने एक सराहनीय और मानवीय कदम उठाया है। अब यदि कोई व्यक्ति सड़क हादसे में घायल किसी व्यक्ति की मदद करता है और उसे अस्पताल तक पहुंचाता है, तो उसे सरकार की ओर से 25,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह कदम “गुड समरिटन स्कीम” के तहत लागू किया जाएगा, जो लोगों को मानवता के आधार पर एक-दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित करेगा।
इस योजना का उद्देश्य है कि लोग हादसों के समय डरें नहीं, बल्कि तत्काल घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए पहल करें। इससे न केवल सामाजिक उत्तरदायित्व को बल मिलेगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या को भी कम किया जा सकेगा।
2. स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा निवेश: इंदौर के एमवाय अस्पताल और रीवा के जिला अस्पताल के लिए 1094 करोड़ रुपए मंजूर
स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए कैबिनेट ने इंदौर के मशहूर महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवाय हॉस्पिटल) के उन्नयन और विस्तार के लिए 773 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। इस राशि से अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं, अत्याधुनिक उपकरण और अतिरिक्त भवनों का निर्माण किया जाएगा। इंदौर न केवल मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और सेवाओं का प्रमुख केंद्र भी है।
इसके अलावा, रीवा के जिला अस्पताल के लिए 321 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इस फंड से अस्पताल में नए वार्ड, आईसीयू यूनिट्स, अत्याधुनिक जांच सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। रीवा क्षेत्र में यह स्वास्थ्य ढांचा आमजन के लिए जीवनदायी साबित होगा।
3. ओंकारेश्वर में सनातन परंपरा के विकास के लिए 2100 करोड़ रुपए का प्रावधान
धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में डॉ. मोहन यादव सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। ओंकारेश्वर में स्थित आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा के आसपास “सनातन संस्कृति और परंपराओं” को विकसित और प्रचारित करने के लिए 2100 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया गया है।
यह प्रोजेक्ट एक सांस्कृतिक और धार्मिक टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें शोध केंद्र, वेद अध्ययन केंद्र, ध्यान केंद्र, आध्यात्मिक प्रशिक्षण केंद्र और संग्रहालय शामिल होंगे। यह न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा।
4. सीएम शहरी स्वच्छता कार्यक्रम का पुनः शुभारंभ: 277 करोड़ रुपए की स्वीकृति
शहरी क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने “मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता कार्यक्रम” को पुनः शुरू करने का फैसला लिया है। इस योजना के तहत नगर निगम और नगर पालिकाओं को स्वच्छता कार्यों के लिए नए संसाधन, जैसे कचरा उठाने वाली गाड़ियाँ, सफाई मशीनें और स्मार्ट डस्टबिन्स उपलब्ध कराए जाएंगे।
इस योजना के लिए 277 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाना और स्वच्छता रैंकिंग में प्रदेश को ऊपर ले जाना है। यह योजना प्रदेश को “स्वच्छ मध्य प्रदेश” बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
5. बुनकरों के लिए स्किल डेवलपमेंट और ब्याज में छूट: 100 करोड़ का प्रावधान
राज्य सरकार ने पारंपरिक बुनकर उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए एक बड़ी घोषणा की है। कैबिनेट ने बुनकरों के लिए कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) कार्यक्रम को लागू करने के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। इस कार्यक्रम के तहत बुनकरों को आधुनिक डिजाइन, मार्केटिंग, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी और उत्पादन तकनीकों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके साथ ही बुनकरों को बैंक ऋण पर ब्याज में भी छूट दी जाएगी, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें और अपने कारोबार को बढ़ा सकें। यह फैसला प्रदेश के लाखों पारंपरिक बुनकर परिवारों के लिए एक नई आशा की किरण लेकर आया है।
डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट द्वारा लिए गए ये फैसले न केवल वर्तमान प्रशासनिक कार्यों को मजबूती देंगे, बल्कि सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य सेवा, धार्मिक मूल्यों, स्वच्छता और पारंपरिक उद्योगों को भी नई ऊर्जा देंगे। इन फैसलों से यह स्पष्ट है कि सरकार विकास को समावेशी और जनहितकारी बनाने के लिए कटिबद्ध है। करीब 3500 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं और प्रावधानों के माध्यम से मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किया जा रहा है।
यदि यह योजनाएं समय पर और प्रभावी ढंग से लागू की जाती हैं, तो यह प्रदेश के लाखों लोगों के जीवन स्तर में वास्तविक सुधार लाएंगी।