इंदौर | इंदौर जिले के चोरल क्षेत्र के जंगलों में कीमती सागवान के पेड़ों की अवैध कटाई का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। वन विभाग द्वारा की जा रही जांच में अब तक कुल 66 पेड़ों के कटे हुए ठूंठ मिलने की पुष्टि हुई है। इससे पहले जांच की शुरुआत में यह संख्या 54 थी। हाल ही में स्पेशल उड़नदस्ते को जंगल में 12 और पेड़ों के कटे हुए अवशेष मिले हैं। यह दर्शाता है कि तस्करों द्वारा की जा रही यह गतिविधि काफी योजनाबद्ध और संगठित है।
स्पेशल दस्ते की प्रभारी रेंजर संगीता ठाकुर ने बताया कि उनकी टीम पिछले दो दिनों से जंगलों में सघन जांच कर रही है। इस दौरान कई ऐसे क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं जहां हाल ही में पेड़ों की कटाई की गई है। ठाकुर का मानना है कि यह संख्या अभी और भी बढ़ सकती है, क्योंकि पूरे जंगल क्षेत्र की गहनता से जांच करना बाकी है। उन्होंने कहा कि पेड़ों के कटने की यह घटना सिर्फ एक छोटे समूह का काम नहीं लगती, बल्कि इसके पीछे किसी बड़े और संगठित गिरोह के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
दो नए तस्करों की पहचान, मुख्य आरोपी को जमानत
वन विभाग को इस अवैध कटाई मामले में दो और तस्करों – विनोद और गजानन – के नाम पता चले हैं। ये दोनों अभी फरार हैं। इससे पहले रसकुंडिया निवासी नारायण पिता ज्ञानसिंह को विभाग ने पकड़ा था, लेकिन कोर्ट से उसे जमानत मिल गई है। रेंजर ठाकुर का कहना है कि नारायण की गिरफ्तारी के बाद अन्य तस्करों की पहचान संभव हो पाई है और जल्द ही इनकी गिरफ्तारी के लिए सघन अभियान चलाया जाएगा।
ऑर्डर पर लकड़ियां काटने का शक
जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह संभवतः ‘ऑर्डर पर कटाई’ करता है। यानी ग्राहक से ऑर्डर मिलने के बाद वे जंगलों में जाकर कीमती पेड़ों की कटाई करते हैं और फिर लकड़ी को किसी माध्यम से आगे भेज देते हैं। यह संदेह जताया जा रहा है कि तस्कर खुद लकड़ी को सीधे बाजार में नहीं बेचते, बल्कि इसे किसी और को सौंप देते हैं, जो आगे सप्लाई की जिम्मेदारी उठाता है।
रेंजर ठाकुर ने बताया कि यह गिरोह संभवतः किसी बड़ी लकड़ी माफिया चेन का हिस्सा हो सकता है, जो जंगलों से लकड़ी कटवाकर उसे बाजार में पहुंचाता है। जांच में यह भी पता चला है कि कटाई की गई लकड़ी इंदौर के बजाय खरगोन की ओर भेजी जा रही है, जिससे संकेत मिलता है कि इस तस्करी नेटवर्क की जड़ें इंदौर से बाहर भी फैली हुई हैं।
तस्करों के अन्य साथियों पर भी नजर
रेंजर सचिन वर्मा ने जानकारी दी कि इस मामले में कुछ और संदिग्ध लोग वन विभाग की निगरानी में हैं। इनसे पूछताछ की जाएगी और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को तस्करों के साथ पकड़े गए नारायण से पूछताछ के लिए विभाग ने कोर्ट से रिमांड की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे जमानत दे दी, जिससे पूछताछ में कुछ सीमाएं उत्पन्न हो गईं। इसके बावजूद विभाग अन्य माध्यमों से जांच को आगे बढ़ा रहा है।
जंगल की सुरक्षा को लेकर चिंता
यह मामला सिर्फ वन संपदा की क्षति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की पारिस्थितिकी और जैव विविधता के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। सागवान जैसे बहुमूल्य वृक्षों की अवैध कटाई से न केवल पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होता है, बल्कि इससे राज्य को आर्थिक क्षति भी होती है। एक सागवान का पेड़ वर्षों में तैयार होता है और इसकी बाजार में कीमत लाखों रुपये तक पहुंच सकती है।
वन विभाग अब जंगलों की सुरक्षा के लिए निगरानी बढ़ाने और गश्त तेज करने की योजना बना रहा है। इसके तहत नाइट पेट्रोलिंग, ड्रोन सर्वे और ग्रामीणों से सूचना तंत्र को मजबूत किया जाएगा। साथ ही, जो क्षेत्र बार-बार तस्करी की चपेट में आ रहे हैं, उन्हें ‘हाई रिस्क जोन’ के रूप में चिह्नित कर वहां विशेष निगरानी रखी जाएगी।
जनता से सहयोग की अपील
वन विभाग ने स्थानीय लोगों और ग्रामीणों से अपील की है कि वे यदि जंगलों में किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि देखें, तो उसकी तुरंत सूचना विभाग को दें। यह केवल वन विभाग की नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है कि जंगलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, इस बात की संभावना प्रबल हो रही है कि इस अवैध कटाई के पीछे एक विस्तृत और संगठित नेटवर्क काम कर रहा है, जिसे खत्म करने के लिए सरकार और वन विभाग को सख्त कदम उठाने होंगे। वर्तमान स्थिति से यह स्पष्ट है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो पर्यावरण को होने वाला नुकसान अपूरणीय हो सकता है।