Another statement by Trump after ceasefire: also spoke about Kashmir

सीजफायर के बाद ट्रंप का एक और बयान: कश्मीर को लेकर भी बोले

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए “पूर्ण और तत्काल” सीजफायर समझौते की घोषणा की। यह समझौता अमेरिकी मध्यस्थता में हुआ था, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, यह समझौता जल्द ही टूट गया, जब भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान पर उल्लंघन का आरोप लगाया। इस घटनाक्रम के बाद, ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भी बयान दिया, जिसे लेकर भारत में विवाद खड़ा हो गया।

सीजफायर समझौते का संदर्भ

सीजफायर समझौता उस समय हुआ जब कश्मीर क्षेत्र में हिंसा बढ़ गई थी। 22 अप्रैल 2025 को एक पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी समूह ने एक पर्यटन स्थल पर हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए। भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के राजनयिकों को निष्कासित किया, अपनी सीमाएँ बंद कीं, और सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिससे व्यापक युद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया।

ट्रंप का कश्मीर पर बयान

सीजफायर समझौते के बाद, ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान चाहें, तो वह कश्मीर विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता करने को तैयार हैं। यह बयान भारत के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि भारत ने पहले ही स्पष्ट किया था कि कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं हो सकती।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने ट्रंप के बयान को सिरे से नकारा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने का कोई अनुरोध नहीं किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी और पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक जरूरी होगी।

अमेरिकी सफाई

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद, व्हाइट हाउस ने सफाई दी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है और अमेरिका दोनों देशों के बीच वार्ता का स्वागत करता है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि किसी भी वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि पाकिस्तान अपनी सीमा में आतंकवादियों के खिलाफ निरंतर और स्थिर कार्रवाई करे।

कश्मीर पर ट्रंप के पिछले बयान

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर बयान दिया है। 2019 में, उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने का अनुरोध किया था। भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी इस पर सफाई दी थी कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और अमेरिका इस पर मध्यस्थता नहीं करेगा।

कश्मीर विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ

कश्मीर विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक लंबा और जटिल मुद्दा है। 1947 में विभाजन के समय से ही यह विवाद चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं और कई बार संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएँ हुई हैं। भारत ने 2019 में जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था, जिसके बाद से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।

ट्रंप का कश्मीर पर बयान एक बार फिर से यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कुछ सदस्य इस मुद्दे में मध्यस्थता की पेशकश करते हैं। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं हो सकती। इसलिए, यह आवश्यक है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान निकाला जाए।

अस्वीकरण: यह लेख उपलब्ध जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। कृपया नवीनतम समाचार स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।

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