Now the rules of property registry will change, know its benefits

अब बदल जाएगा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री का नियम, जानें इसके फायदे

नई दिल्ली। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स पर भारत की रैंकिंग को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के साथ जोड़ने का फैसला किया है। इस निर्णय से न केवल भूमि संबंधी विवादों में अधिक पारदर्शिता आएगी, बल्कि वाणिज्यिक मामलों को तेजी से ट्रैक करने में भी मदद मिलेगी। भारत ने 2020 में विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में 63वां स्थान प्राप्त किया है, जो 2016 में 190 देशों में से 130 वें स्थान पर था।

12 अक्टूबर को हुई थी पहली बैठक
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के साथ प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को लिंक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी, भूमि संसाधन विभाग और अन्य प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी। कैबिनेट सचिवालय को सौंपी गई रिपोर्ट में, कानून मंत्रालय ने कहा कि पहली बैठक नियमों के सरलीकरण और प्री-इंस्टीट्यूशन मीडिएशन एंड सेटलमेंट के लिए 12 अक्टूबर को आयोजित की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने प्रक्रियाओं को और सरल बनाने के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और कर्नाटक हाई कोर्ट के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सभी सीएम को स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट के तहत डेडिकेट्ड स्पेशल कोर्ट स्थापित करने के लिए लिखा है। वाणिज्यिक मामलों के निपटान को सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में उच्च न्यायिक सेवाओं के 42 अतिरिक्त पद सृजित किए हैं जो अतिरिक्त डेडिकेट्ड स्पेशल कोर्ट को स्थापित करने में मदद करेंगे।

कोरोना महामारी के कारण सरकार ने सभी कमर्शियल कोर्ट को मामलों की ई-फाइलिंग अनिवार्य करने के लिए कहा था। दिल्ली और मुंबई हाईकोर्ट को 30 जून तक और कोलकाता एवं कर्नाटक हाईकोर्ट को 30 सितंबर तक सभी डेडिकेट्ड कमर्शियल कोर्ट में ई-फाइलिंग प्रक्रिया को लागू करने के लिए कहा गया था।

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