Shaligram Shila: This holy stone brings wealth and wealth to the house, worshiping it gives desired groom

Shaligram Shila: घर में धन और दौलत लेकर आता है यह पवित्र पत्थर, पूजा करने से मिलता है मनचाहा वर

नई दिल्ली, Shaligram Shila: सनातन धर्म में शालिग्राम शिला का विशेष महत्व है। दैवीय काल से शालिग्राम शिला और शिवलिंग की पूजा की जाती है। शालिग्राम शिला भगवान श्रीहरि विष्णु का विग्रह रूप है। वर्तमान समय में सनातन धर्म के अनुयायी प्रतिमा की पूजा करते हैं। इसके लिए प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठित किया जाता है। इससे पूर्व भगवान ब्रह्मा को शंख रूप में पूजा जाता था। देवों के देव महादेव की शिवलिंग रूप में पूजा की जाती थी। वहीं, भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा शालिग्राम शिला रूप में पूजा जाता था। धर्म गुरुओं की मानें तो 33 प्रकार के शालिग्राम शिला हैं। इनमें 24 प्रकार के शालिग्राम शिला भगवान विष्णु के अवतारों से जुड़ा है। गोल रूप में शालिग्राम शिला गोपाल कहलाता है। सनातन शास्त्रों में शालिग्राम शिला की पूजा-उपासना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि शालिग्राम की विधि पूर्वक शालिग्राम शिला की पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप शालिग्राम शिला घर पर स्थापित करते हैं, तो घर में सुख और समृद्धि का भी आगमन होता है। आइए, शालिग्राम शिला घर लाने के लाभ जानते हैं-

धर्म पंडितों की मानें तो घर में शालिग्राम शिला स्थापित करने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है। शालिग्राम शिला भगवान श्रीहरि का विग्रह रूप है। इसके लिए जहां भगवान श्रीहरि विराजते हैं। वहां मां लक्ष्मी भी विराजती हैं। इसके लिए शालिग्राम शिला स्थापित करने से अपार धन दौलत की प्राप्ति होती है।

अगर आप वास्तु दोष से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो घर पर शालिग्राम शिला जरूर स्थापित करें। इससे वास्तु दोष दूर होता है। वास्तु जानकारों की मानें तो शालिग्राम शिला की पूजा करने से समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं।

अगर आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी आ रही है और आप इससे निजात पाना चाहते हैं, तो घर पर शालिग्राम शिला स्थापित कर उनकी पूजा-उपासना करें। इससे वैवाहिक जीवन में व्याप्त परेशानी दूर होती है।

-अगर आप मनोवांछित फल की इच्छा पूर्ति चाहते हैं, तो रोजाना विधि पूर्वक शालिग्राम शिला की पूजा करें। इससे साधक की सभी मनोकामना यथाशीघ्र पूरी होती है।

 

Source: Jagran

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