Feed food to black dog to please Kaal Bhairav, worship like this

काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को खिलाएं खाना, इस तरह करें पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था। धार्मिक ग्रंथों में काल भैरव भगवान को शिव जी का रौद्र स्वरूप बताया गया है। भक्तों के लिए काल भैरव दयालु, कल्याण करने वाले और शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देव माने जाते हैं। लेकिन अनैतिक कार्य करने वालों के लिए ये दंडनायक हैं। काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव जी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। आइए जानते हैं काल भैरव जयंती की डेट, पूजा का मुहूर्त और महत्व…

भगवान काल भैरव की पूजन विधि
-मार्गशीर्ष मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि को प्रातः स्नान आदि करने के पश्चात व्रत का संकल्प लें।
-काल भैरव भगवान का पूजन रात्रि में करने का विधान है।
-इस दिन शाम को किसी मंदिर में जाएं और भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखा दीपक जलाएं।
-अब फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल आदि चीजें अर्पित करें।
-फिर वहीं आसन पर बैठकर कालभैरव भगवान का चालीसा पढ़ें।
-पूजन पूर्ण होने के बाद आरती करें और जानें-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

काल भैरव जयंती का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि भगवान काल भैरव की पूजा करने से भय से मुक्ति प्राप्त होती है। कहते हैं कि अच्छे कर्म करने वालों पर काल भैरव मेहरबान रहते हैं, लेकिन जो अनैतिक कार्य करता है वह उनके प्रकोप से बच नहीं पाता है। साथ ही कहा जाता है कि जो भी भगवान भैरव के भक्तों का अहित करता है उसे तीनो लोक में कहीं भी शरण प्राप्त नहीं होती है।

इन उपायों से प्रसन्न होंगे काल भैरव
शास्त्रों में काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है। कहा जाता है कि यदि काल भैरव को प्रसन्न करना है, तो इनकी जयंती के दिन काले कुत्ते को भोजन खिलाना चाहिए। वहीं जो इस दिन मध्यरात्रि में चौमुखी दीपक लगाकर भैरव चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में राहु के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।

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