नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने और पार्टी के तमाम अकाउंट्स को लॉक करने को लेकर ट्विटर पर निशाना साधा है। उन्होंने एक वीडियो स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि एक कंपनी भारत में कारोबार नहीं कर रही है, वह देश की राजनीति की दिशा तय करने का काम करने लगी है. एक राजनेता के तौर पर मुझे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं है. कंपनी की ओर से उठाया जा रहा इस तरह का कदम देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है. यह राहुल गांधी पर हमला नहीं है। यह सिर्फ मेरी ही आवाज को बंद करने की बात नहीं है बल्कि लाखों करोड़ों लोगों को चुप करने का मामला है। राहुल गांधी ने मेरे ट्विटर अकाउंट को बंद करके एक कंपनी ने राजनीतिक प्रक्रिया में दखल दिया है। कारोबार करने वाली एक कंपनी राजनीति को तय कर रही है।
A company is making its business to define our politics and as a politician, I don't like that. This is an attack on the democratic structure of the country. This is not an attack on Rahul Gandhi, this is not simply shutting Rahul Gandhi down: Congress leader Rahul Gandhi pic.twitter.com/E8eJNKU6RE
— ANI (@ANI) August 13, 2021
कांग्रेस लीडर ने कहा कि एक राजनेता के तौर पर मैं इस तरह की चीजें पसंद नहीं करता हूं। यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। यह राहुल गांधी पर ही अटैक नहीं है। यह सिर्फ राहुल गांधी को चुप कराने की बात नहीं है। मेरे 19 से 20 मिलियन के करीब फॉलोअर्स थे और आप उन्हें अपनी राय व्यक्त करने से रोक रहे हैं। आप यह क्या कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा, ‘इस हरकत से ट्विटर ने यह साबित किया है कि वह न्यूट्रल प्लेटफॉर्म नहीं है। निवेशकों के लिए यह खतरनाक चीज है क्योंकि राजनीतिक मुकाबले में किसी की साइड लेना ट्विटर के लिए गलत अंजाम वाला हो सकता है।’
Democracy under attack, we're not allowed to speak in Parliament, media is controlled & I thought there was a ray of light where we could put what we thought, on Twitter. That's not the case. Twitter is biased&it's something that listens to what Govt of the day says: Rahul Gandhi pic.twitter.com/N5QONLdhrH
— ANI (@ANI) August 13, 2021
कांग्रेस लीडर ने कहा कि हमारे लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। हमें संसद में भी बोलने नहीं दिया जा रहा है। मीडिया पर नियंत्रण है। मैं मानता हूं कि एक उम्मीद की किरण थी, जहां हम ट्वीट के जरिए अपनी बात रख सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं है। इससे पता चलता है कि ट्विटर न्यूट्रल प्लेटफॉर्म नहीं है बल्कि ऑब्जेक्टिव है, जिसका कुछ लोग अपने तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। यह पक्षपाती प्लेटफॉर्म है और यह वही सुनता है, जो मौजूदा सरकार कहती है। यही नहीं राहुल गांधी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि हमें सवाल पूछना चाहिए कि क्या हम कंपनियों को अपनी राजनीति तय करने का अधिकार दे सकते हैं क्योंकि सरकार उसके साथ है? क्या हम अपनी राजनीति को खुद डिफाइन करना चाहते हैं या फिर कंपनियां ऐसा करना चाहती हैं।