Tokyo Olympics: The fate of the Indian women's hockey team shines due to the defeat of Ireland for the first time in the quarter-finals of the Olympics

Tokyo Olympics:आयरलैंड की हार से चमकी भारतीय महिला हॉकी टीम की किस्मत, पहली बार ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल में जगह

टोक्यो। भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई है। अब क्वार्टर फाइनल में रानी रामपाल की टीम की टक्कर मजबूत ऑस्ट्रेलिया से होगी। भारतीय टीम पांच मैचों में दो जीत के साथ पूल ए में चौथे स्थान पर रही।

भारत ने शनिवार को दक्षिण अफ्रीका टीम को आखिरी ग्रुप मैच में 4-3 से हराकर ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने की उम्मीदें बनाए रखीं। दक्षिण अफ्रीका निचली रैंकिग वाली टीम में शामिल थी। भारत के लिए वंदना कटारिया ने तीन, जबकि नेहा गोयल ने एक गोल किया था।

भारत के लिए आयरलैंड का हारना जरूरी था
इस जीत के बाद भारत की नजर आयरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन के मुकाबले पर थी। भारत को क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के लिए आयरलैंड का हारना जरूरी थी। ठीक ऐसा ही हुआ। ब्रिटेन ने उसे 2-0 से हरा दिया।

भारत ने 4-3 से दक्षिण अफ्रीका को हराया
स्ट्राइकर वंदना कटारिया के ऐतिहासिक तीन गोल ने कमाल कर दिया। वंदना ने चौथे, 17वें और 49वें मिनट में गोल किया। वह ओलिंपिक के इतिहास में तीन गोल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई। नेहा गोयल ने 32वें मिनट में एक गोल दागा। दक्षिण अफ्रीका के लिए टेरिन ग्लस्बी (15वां), कप्तान एरिन हंटर (30वां) और मेरिजेन मराइस (39वां मिनट) ने गोल दागे।

भारत को ग्रेट ब्रिटेन की जीत से मिली ऑक्सीजन
भारत ने ग्रुप चरण में पहले तीन मैच हारने के बाद आखिरी दो मैचों में जीत दर्ज की, इससे भारत पूल ए में चौथे स्थान पर आ गया, लेकिन ग्रुप ए के आखिरी पूल मैच में अगर ग्रेट ब्रिटेन आयरलैंड को हरा देता या ड्रॉ खेलता तो आयरलैंड टीम पिछड़ जाती। मैच 2-0 से ग्रेट ब्रिटेन के पक्ष में रहा। लगातार चौथी हार के साथ आयरलैंड का सफर यहीं खत्म हो गया। अब हर पूल से शीर्ष चार टीमें नॉकआउट चरण खेलेंगी।

हम जीतने के लिए ही आए थे: कोच मारिन
भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच मारिन ने कहा- प्रदर्शन में निरंतरता जरूरी है। टीम अगर क्वार्टर फाइनल में पहुंचती है तो वहां हालात एकदम अलग होंगे। कल हमने बहुत अच्छा खेला और फिर आज लगातार दूसरे दिन मैच खेलना था। हमारे बेसिक्स आज उतने सही नहीं थे जितने कि कल। हम जीतने के लिये ही आए थे। क्वार्टर फाइनल से नई शुरूआत होती है और पूल मैचों का प्रदर्शन मायने नहीं रखता। वहां अलग ही तरह का खेल होता है। अच्छी बात यह है कि हमारे लिए आखिरी दो मैच भी नॉकआउट की तरह ही थे।

ओलिंपिक में भारतीय महिलाओं का सफर जानिए
1980 में पहली बार भारत की महिला हॉकी टीम ने ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। हालांकि तब टीम चौथे स्थान पर जरूर रही थी, लेकिन उस वक्त क्वार्टर फाइनल नहीं होता था। जिंबाब्वे ने गोल्ड जीता था। फिर अगले ओलिंपिक में खेलने के लिए भारतीय महिलाओं को 36 साल का इंतजार करना पड़ा। 2016 के रियो ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम बिना कोई मैच जीते अंतिम स्थान पर रही थी।

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