अमेरिका | अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 3 नवंबर को होंगे। यह महज एक संयोग है कि इसी दिन बिहार विधान सभा की 243 सीटों में से 94 सीटों के लिए दूसरे चरण के मतदान होंगे। वहीं, मध्य प्रदेश की 28 विस सीटों के लिए उप चुनाव भी इसी दिन होंगे। सिर्फ चुनाव की तारीख ही नहीं कई और ऐसी बातें भी हैं, जो तीनों चुनावी रणक्षेत्रों से समानता रखती हैं। बात चाहे अमेरिका की हो या मप्र और बिहार की सभी जगह जनता के मुद्दों से ज्यादा जोर व्यक्तिगत आरोप- प्रत्यारोपों पर दिया जा रहा है और परिवार के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। अमेरिका में जहां श्वेत एवं अश्वेत के नस्लीय रंग चुनावों में हावी हैं, वहीं भारत में हार-जीत के समीकरण जाति व संप्रदाय के आधार पर बनते बिगड़ते हैं। बिहार में जहां यादव, मुस्लिम व दलित मतदाता सरकार का भविष्य तय करते हैं, वहीं मध्य प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश रहती है। नहीं बची शब्दों की मर्यादा अमेरिका में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी एक-दूसरे को जोकर और शटअप बोल रहे हैं। यह वाकेया राष्ट्रपति पद को लेकर हुई पहली बहस में नजर आया। पेन्सिलवेनिया की सभा में जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को हिंसा भड़काने वाला जहरीला नेता कहा तो वहीं ट्रंप ने मिशिगन के मस्केन में रैली के दौरान कहा, बाइडेन चीन के इशारे पर काम करते हैं।
व्यक्तिगत आरोप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाडेन के बेटे की कथित नशे की आदतों एवं उनके चीन व रूस के साथ संबंधों के मुद्दे को उठा रहे हैं।
जो बाइडेन, ट्रंप के टैक्स और उनके व्यावसायिक हितों की परतें खोलने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं।
ट्रंप का आरोप है, बाइडेन बहस में प्रदर्शन बेहतर करने के लिए ड्रग्स का सेवन करते हैं। राष्ट्रपति बहसों से पहले ड्रग टेस्ट करवाना चाहिए।
आचार संहिता का उल्लंघन
डेमोक्रेटिक पार्टी ने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के दौरान ट्रंप प्रशासन पर संघीय हैच अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा, प्रशासन चुनाव में राष्ट्रपति भवन का दुरुपयोग कर रहा है।
मास्क न पहनने को लेकर तंज
बाइडन ने ट्रंप पर मास्क पहनने को लेकर गंभीरता न बरतने का आरोप लगाया तो ट्रंप ने बाइडेन का मजाक उड़ाते हुए कहा, बाइडेन 200 फीट की दूरी पर रहते हैं तो भी बड़ा सा मास्क पहनकर आ जाते हैं।
इन मुद्दों पर होना चाहिए फोकस
कोरोना महामारी, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी व स्थानीय समस्याएं
इन पर दिया जा रहा जोर
चुनावों में नस्लीय भेदवाभ, जातिवाद और व्यक्तिगत हमले पर ज्यादा जोर है।