वाशिंगटन। अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया में सुधार एक बड़े सियासी टकराव का मुद्दा बन गया है। इस सवाल पर दोनों बड़ी पार्टियां अपने-अपने ढंग से सुधार प्रस्तावों को आगे बढ़ा रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पिछले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को स्वीकार ना करने के बाद से ये मसला गरम है। अब अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के निचले सदन हाउस आॅफ रिप्रजेंटेटिव में फॉर द पीपुल एक्ट पास किया गया है। इस सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत है। ये बिल सदन में 220- 210 वोटों के अंतर से पास हुआ। इस बिल में मतदान की तारीख से पहले मतदान और डाक से मतदान की मुश्किलें बढ़ाने के प्रावधान हैं। साथ ही वोटरों को मतदान के दिन तक आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा देने और रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड्स के आधार पर नामों को मतदाता सूची से हटाने पर रोक के प्रावधान शामिल हैं। हाउस से पास बिल में यह प्रावधान भी है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुने गए व्यक्तियों के लिए अपने टैक्स रिटर्न जारी करना अनिवार्य होगा। गौरतलब है कि ट्रंप ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।
यूएस सांसदों ने अमेरिकन्स जॉब्स फर्स्ट एक्ट पेश किया
इधर अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में तीन सांसदों ने एक विधेयक पेश किया है जिसमें उन नियोक्ताओं को एच-1बी वीजाधारक विदेशी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से रोकने की बात है जिन्होंने अमेरिकी कर्मचारियों को हाल में लंबी छुट्टी पर भेज दिया है या फिर उनकी ऐसी कोई योजना है। इसमें नियोक्ताओं को अमेरिकी कर्मचारियों की अपेक्षा एस1बी धारक कर्मचारियों को न्यूनतम 1,10,000 डॉलर भुगतान देने की बात भी है। रिपब्लिकन पार्टी के कांग्रेस सदस्य मो ब्रुक्स, मैट गाऐट्ज और लांस गूडेन की ओर से पेश अमेरिकन्स जॉब्स फर्स्ट एक्ट में आव्रजन और राष्ट्रीयता कानून में आवश्यक बदलाव करके एच-1बी वीजा कार्यक्रम में आमूल-चूल बदलाव का प्रस्ताव है। भारतीय मूल के आईटी पेशवरों में एच-1बी वीजा की सर्वाधिक मांग रहती है।