Accident in lift with Kamal Nath: It felt like a bomb explosion There was a dusty dust in the elevator nothing was visible

कमलनाथ के साथ लिफ्ट में हादसा: ऐसे लगा जैसे बम धमाका हुआ हो; लिफ्ट में धूल का गुबार था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था

इंदौर। शहर के डीएनएस अस्पताल में रविवार शाम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत कांग्रेस नेता बड़े हादसे का शिकार होते बाल-बाल बचे। लिफ्ट के जरिए अस्पताल की तीसरी मंजिल जाते वक्त अचानक लिफ्ट 10 फीट नीचे गिरी और धमाके की आवाज आई।  करीब 15 मिनट तक बेसमेंट में फंसे रहे, लेकिन लॉक नहीं खुला। कमलनाथ यहां भर्ती कांग्रेस नेता रामेश्वर पटेल को देखने पहुंचे थे। लिफ्ट में नाथ के साथ सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, विनय बाकलीवाल समेत 13 लोग सवार थे। कलेक्टर मनीष सिंह ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज ने भी कमलनाथ का हाल जाना। घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यह हादसा डरा देने वाला था।

कांग्रेस नेता अर्चना जायसवाल कहती हैं कि मैं और बाकी सब लोग लिफ्ट में खड़े थे। जैसे ही गेट लगाकर बटन दबाया, लिफ्ट धड़ाम से नीचे जा गिरी। ऐसा लगा जैसे कोई बम धमाका हुआ हो। मुझे चोट लगी। जैसे लिफ्ट गिरी, अंदर अफरातफरी मच गई। जैसे तैसे संभले, लेकिन धूल का गुबार भर गया। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सबने जैसे तैसे खुद को संभाला। अर्चन को पैर में चोट आई है। वे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उसी लिफ्ट में सवार थीं, जो टूटकर बेसमेंट में जा गिरी थी।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने बताया कि मैं और सारे साथी और कमलनाथजी के स्टाफ के कुछ सहयोगी जैसे ही लिफ्ट में चढ़े और गेट लगाकर तीसरी मंजिल का बटन दबाया। एक सेकंड भी पूरा नहीं हुआ होगा कि लिफ्ट टूटकर धड़ाम से नीचे जा गिरी। किसी को सोचने का भी मौका नहीं मिला। अब लिफ्ट के अंदर ही गिर पड़े। एक मिनट से ज्यादा वक्त तो उठने और हालात को समझने में लगा। ऐसा लगा मानो जान ही चली जाएगी। पूरी लिफ्ट में धूल का गुबार था। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सभी ने कमलनाथजी और एक दूसरे को संभाला। 3-4 मिनट बाद स्थिति सामान्य हुई। किसी ने आवाज लगाकर बाहर मौजूद लोगों को भीतर के हालात बताए। जिंदगी में शायद ही ऐसे अनुभव की कल्पना की थी।

कार्यकर्ता इरशाद शेख ने बताया- मैं अन्य कार्यकर्ताओं के साथ अस्पताल में कमलनाथ का इंतजार कर रहे थे। 30 मिनट पहले लिफ्ट में आवाजाही बंद कर दी गई थी। जैसे ही नाथ और अन्य नेता लिफ्ट में चढ़े विस्फोट जैसी आवाज के साथ धमाका हुआ और लिफ्ट नीचे जा गिरी। हम सब भागे। बेसमेंट में मैंने आवाज लगाई, सब ठीक हैं? तभी लिफ्ट से आवाज आई कि जल्दी दरवाजा खोलो। एक कर्मचारी चाबी लाया, लेकिन उससे लिफ्ट नहीं खुली। मशक्कत के बाद लिफ्ट खुली और सब बाहर निकले। फिर हमने सबकी धूल हटाई।

सीढ़ियों से तीसरी मंजिल गए और पटेल से मिले
जैसे ही लिफ्ट खुली। नाथ धूल साफ होते ही आगे बढ़े। सीढ़ियों से ही नेताओं के साथ तीसरी मंजिल पर चल पड़े। रास्ते में बोले अगर ओवरलोडिंग वजह होती तो लिफ्ट इतनी रफ्तार से नीचे नहीं गिरती। बल्कि सेंसर बजता। ये तो टूटकर गिरी है। नाथ का चेकअप भी हुआ। नाथ बाद में पटेल से मिले और हालचाल जाने।

उधर, डीएनएस अस्पताल के डायरेक्टर मनीष सिंघवी का कहना है कि किसी तकनीकी खराबी से यह हादसा हुआ। लिफ्ट चार महीने पहले ही लगी है। लिफ्ट में लगे कैमरे खराब होने की जानकारी मुझे नहीं थी। कंपनी को जांच के लिए बुलाया है।

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